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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भारतीय पुरालिपि-शास्त्र 22. चौथी-पांचवी शती की तथाकथिक गुप्त लिपि : फलक IV अ. उसके विभेद तथाकथित गुप्त-लिपि के पूर्वी और पश्चिमी विभेदों में मिलनेवाला अंतर ल, ष और ह में देखा जा सकता है ।201 पूर्वी विभेद में ल (फल. IV, 34, I-III V, VI,) का वामांग तेजी से नीचे को झुक रहा है। जौगड़ के पृथक् आदेशलेखों के ल से मिलाइए (देखें, ऊपर, 16, इ. 35)। ष (IV, 37, I-III, V, VI) के आधार की लकीर गोल कर दी गई है और मध्य के नीचे झुकते तिरछे डंडे में एक फंदे की तरह जोड़ दी गई है। ह (IV, 39, I-III, V, VI) की आधार की लकीर दबा दी गई है और खड़ी रेखा में जुड़ा हुक बायें को काफी घुमा दिया गया है, ठीक उसी तरह जैसे जग्गयपेट अभिलेखों में (दे. ऊपर 20, इ)। पश्चिमी विभेद में इन तीनों अक्षरों के पुराने और अधिक पूर्ण रूप ही चल रहे हैं। ___ फलक IV के पूर्वी विभेद के नमूने प्राचीनतम गुप्त अभिलेख हरिषेण की प्रयाग-प्रशस्ति (स्त. I-III) और कहाँव-प्रशस्ति से लिये गये हैं । निश्चय ही प्रयाग प्रशस्ति समुद्रगुप्त के राज्य-काल में, संभवतः ई. 370 और 390 के बीच खोदी गयी थी202 और कहाँव-प्रशस्ति (स्त. V. VI) स्कंदगुप्त के शासनकाल में सन् 460 ई. में खोदी गयी थी। इनके अलावा फ्लीट के गुप्त इंस्क्रिप्शंस (का. इ. इं. 3) सं. 6-9, 15, 64, 65, 77 और भगवानलाल के इंस्क्रिप्शंस फ्राम नेपाल सं. 1-3203 और कनिंघम के सं. 64 के गया अभिलेख 204 में भी इस विभेद के दर्शन होते हैं। फ्लीट का अभिलेख सं. 6 इतने पश्चिम मालवा 201. हानली केवल ष अक्षर का ही उल्लेख करता है (ज. ए. सो. बं. LX, 81), क्योंकि उसकी टिप्पणी में आगे 23 में चर्चित प्रकार का भी हवाला है । 202. जि. बे. बी. आ., 122, XI, पृ. 32 तथा आगे । 203. ई.ऐ. IX, प. 163 तथा आगे; मेरी राय में यह संवत् वह नहीं जो 318-19 ई. से चला जैसा कि फ्लीट का इं. ई. III, की भूमिका में पृ. 95, 177 तथा आगे कहते हैं, बल्कि यह नेपाल का कोई अपना संवत् है जिसका प्रारंभ कब हुआ, इसका पता अभी नहीं चल पाया है। 204. क., म. ग. फल. 25, यह गुप्त संवत् हो सकता है। 96 For Private and Personal Use Only
SR No.020122
Book TitleBharatiya Puralipi Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGeorge Buhler, Mangalnath Sinh
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1966
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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