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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir क्षत्रप-वंश । की थी तथा आकर ( पूर्वी मालवा), अवन्ति (पश्चिमी मालवा), अनूप, आनर्त ( उत्तरी काठियावाड़), सुराष्ट्र (दक्षिण काठियावाड़), श्वभ्र ( उत्तरी गुजरात), मरु ( मारवाड़ ), कच्छ, सिन्धु (सिन्ध ), सौवीर ( मुलतान ), कुकुर (पूर्वी राजपूताना), अपरान्त ( उत्तरी कोंकन ), और निषाद (भीलोंका देश ) आदि देशों पर अपना अधिकार जमाया था। इसने यौद्धेय ( जोहिया ) लोगोंको हराया और दक्षिणके राजा शातकर्णीको दो बार परास्त किया । परन्तु उसे निकटका सम्बन्धी समझकर जानसे नहीं मारा । शायद यह राजा (वासिष्ठीपुत्र ) पुलुमावी द्वितीय होगा, जिसका विवाह इसी रुद्रदामाकी कन्यासे हुआ था। ___ रुद्रदामाने अपने आनत और सुराष्ट्र के सूबेदार सुविशाख द्वारा सुदर्शन झीलका जीर्णोद्धार करवाया था। उक्त समयकी यादगारमें ही पूर्वोक्त लेख भी खुदवाया था। यह राजा बड़ा विद्वान और प्रतापी था । इसे अनेक स्वयंवरोंमें राजकन्याओंने वरमालायें पहनाई थीं। इसकी राजधानी भी उज्जैन ही थी। परन्तु राज्य-प्रबन्धकी सुविधाके लिए इसने अपने राज्यके भिन्न भिन्न प्रान्तोंमें सूबेदार नियत कर रक्खे थे। __ रुद्रदामाके केवल महाक्षत्रप उपाधिवाले चाँदीके सिक्के ही मिलते हैं। इन पर “ राज्ञो क्षत्रपस जयदामपुत्रस राज्ञोमहाक्षत्रपस रुद्रदामस" लिखा होता है। परन्तु किसी किसी पर "...जयदामपुत्रस..." के बजाय "...जयदामस पुत्रस...." भी लिखा मिलता है।" इसके दो पुत्र थे। दामजद और रुद्रसिंह। सुदर्शन झील । उपर्युक्त झील, जिसकी यादगारमें पूर्वोल्लिखित लेख खोदा गया था, जूनागढ़में गिरनार-पर्वतके निकट है। पहले पहल १७ For Private and Personal Use Only
SR No.020119
Book TitleBharat ke Prachin Rajvansh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishveshvarnath Reu, Jaswant Calej
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1920
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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