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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra विषय. राज्य, उत्पत्ति, कलचुरी संवत् इतिहास कोक्कलदेव प्रथम मुग्धतुंग बालह केयूरवर्ष (युवराजदेव ) २ हैहय ( कलचुरी ) वंश लक्ष्मण शंकरगण युवराजदेव द्वितीय कोक्कलदेव द्वितीय गांगेयदेव कर्णदेव · यशः कर्णदेव यकदेव नरसिंहदेव जयसिंहदेव विजयसिंहदेव अजयसिंहदेव त्रैलोक्यवर्मदेव www.kobatirth.org कलिंगराज कमलराज रत्नराज ( रत्नदेव प्रथम ) . इनके सिक्के डाहलके हैहयों ( कलचुरियों ) का वंशवृक्ष दक्षिणकोशलके हैहय ( २८ ) पृष्ठांक. पृष्ठांक. ५६ ५७ ५८ ५८ ५८ ४१ रत्नदेव (तृतीय) ५८ ४१ पृथ्वीदेव (तृतीय ) ५९ ४१ दक्षिण कोशलके हैहयोंका वंशवृक्ष ५९ कल्याणके हैहयवंशी ३७ ३७ ३८ ३९ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विषय. पृथ्वीदेव ( प्रथम ) जाजल्लदेव ( प्रथम ) रत्नदेव (द्वितीय) पृथ्वीदेव ( द्वितीय ) जाजलदेव ( द्वितीय ) ** ४३ पूर्वका इतिहास ४४ जोगम ४४ पेर्माडि ( परमर्दि ) विज्जलदेव ४४ ४६ सोमश्वर ( सोविदेव ) ५० संकम ( निशंकमल ) ५१ आहवमल ५५ ५६ ५६ ५२ सिंघण ५३ कल्याणके हैहयों का वशवृक्ष ३ परमार वंश ५.३ ५.३ आबूके परमार ५४ सिन्धुराज ५४ उत्पलराज आरण्यराज कृष्णराज प्रथम धरणीवराह महीपाल ५६ धन्धुक ५६ पूणील For Private and Personal Use Only ६० ६१ ६१ ६१ ६५ ६६ ६६ ६७ ६८ ६९ ६९ ७० '૬૦ ७१ ७२ ET ७३
SR No.020119
Book TitleBharat ke Prachin Rajvansh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishveshvarnath Reu, Jaswant Calej
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1920
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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