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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सेन-वंश । सन् १९०५) लिखता है । उसमें यह भी पाया जाता है कि यह संवत् लक्ष्मणसेनके राज्यका सत्ताईसवाँ वर्ष है।। लक्ष्मणसेनका जन्म शक-संवत् १०४१ (वि० स० ११७६) में हुआ था। उस समय उसका पिता बल्लालसेन मिथिला विजय कर चुका था। अतएव यह स्पष्ट है कि उस समयके पूर्व ही वह ( बल्लालसेन ) राज्यका अधिकारी हो चुका था । अर्थात् बल्लालसेनने ५९ वर्षसे अधिक राज्य किया। यदि लक्ष्मणसेनके जन्मके समय बल्लालसेनकी अवस्था २० वर्षकी ही मानी जाय तो भी गङ्गा-प्रवेशके समय वह ८० वर्षके लगभग था। ऐसी अवस्थामें यदि अपने पुत्रको राज्य सौंप कर उसने जल-समाधि ली हो तो कोई आश्चर्यकी बात नहीं । क्योंकि प्राचीन समयसे ऐसा ही होता चला आया है। ___ बहुतसे विद्वानोंने वल्लालसेनके देहान्त और लक्ष्मणसेनके राज्याभिषेकके समयसे लक्ष्मणसेन-संवत्का चलना अनुमान करके जो बल्लालसेनका राजत्वकाल स्थिर किया है वह सम्भव नहीं । यदि वे दानसागर, अद्भुतसागर और सूक्तिकांमृत नामक ग्रन्थोंको देखते तो उसकी मृत्यु के समयमें उन्हें सन्देह न होता। मिस्टर प्रिंसैपने अबुलफजलके लेखके आधार पर ईसवी सन् १०६६ से १११६ तक ५० वर्ष बल्लालसेनका राज्य करना लिखा है । परन्तु जनरल कनि हामने १०५० ईसवी से १०७६ ईसवी तक और डाक्टर राजेन्द्रलाल मित्रने ईसवी सन् १०५६ से ११०६ तक अनुमान किया है । परन्तु ये समय ठीक नहीं जान पड़ते । मित्र महोदयने दानसागरकी रचनाके समयका यह श्लोक उद्धृत किया है-“पूर्णे शशिनवदशमिते शकान्दे"। (१) Notes on Sanskrit Mss., Vol. III, 141. २११ For Private and Personal Use Only
SR No.020119
Book TitleBharat ke Prachin Rajvansh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishveshvarnath Reu, Jaswant Calej
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1920
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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