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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जालोरके परमार। जिसका उल्लेख हम सिन्धुराजके वर्णनमें कर चुके हैं। पूर्वोक्त विक्रमसंवत् ११७४ का लेख इसीके समयका है। - फुटकर। जालोरके सिवा भी मारवाड़में परमारोंके लेख पाये जाते हैं। रोल नामक गाँवके कुवें पर भी इनके चार शिलालेख मिले हैं । वहाँ इनका सबसे पुराना लेख विक्रम संवत् ११५२ (ईसवी सन १०९५) का है। यह पँवार इसीरावका है । इसके पिताका नाम पाल्हण था । यह इसीराव वीकबपुरमें मारा गया था । दूसरा लेख विक्रम संवत् ११६३ का, इसीरावके पुत्रका, है । उसमें राजाका नाम टूट गया है । तीसरा विक्रमसंवत् ११६६ (ईसवी सन् ११०९) का, इसीरावके पुत्र वाच्यपालका, है । चौथा विक्रम संवत् १२४५ का पँदारसहजा (?) का है । इनसे अनुमान होता है कि यहाँ पर भी कुछ समय परमारोंका राज्य अवश्य रहा। - - For Private and Personal Use Only
SR No.020119
Book TitleBharat ke Prachin Rajvansh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishveshvarnath Reu, Jaswant Calej
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1920
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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