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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नस्यपकरणम् ] पञ्चमो भागः २९९ अथ सकारादिनस्यप्रकरणम् (८११५) सर्वज्वरहरनस्यम् संभालूकी जड़, बिल्लीकी हड्डी, बछनाग और (र. रा. सु. । ज्वरा.) तगर; इनके समान भाग मिश्रित चूर्णको पानीमें शुद्धतुत्थं पलैकं च भावयेज्जालिनीरसैः। पीस कर नस्यादि द्वारा प्रयुक्त करनेसे चूहेका विष शतविंशतिवारं च निम्बुनीरैस्तथैव च ॥ नष्ट होता है। शुष्कं नस्यं प्रदातव्यं सर्वज्वरविनाशनम् । (८११८) सैन्धवादिनस्यम् (१) यस्मिन्नासापुटे दत्तं तदर्धाङ्गज्वरापहम् ॥ (वृ. नि. र. । ज्वरा.) ___शुद्ध नीलेथोथेके चूर्णको बिंडालडोढेके | नीरेण सिन्धुत्थरजोतिमूक्ष्म रस और नींबूके रसकी पृथक् पृथक् १२० भावना नस्येतिनूनं विनिहन्ति हिक्काम् । दें। और सुखा कर सुरक्षित रखें । शुण्ठीहठाबा सितया समेता इसकी नस्य देनेसे समस्त प्रकारके ज्वर नष्ट | धृमोथवाहिङ्गसमुद्भवश्च ॥ होते हैं। जिस ओरके नासा-विवरमें इसकी नस्य सेंधा नमकको पानीके साथ अत्यन्त बारीक दी जाती है उसी ओरके आधे शरीरका ज्वर उतर | शाकावर तर पीस कर नस्य देनेसे हिचकी अवश्य नष्ट हो जाता है। जाती है। ___ अथवा सेठ और मिश्रीको पीस कर उसकी (८११६) सितोपलादिनस्यम् | नस्य देनेसे या हींगका धूम्रपान करनेसे हिचकी (यो. त.। त. ७३ ; यो. र. । शिरो.) अवश्य नष्ट होती है। सितोपलायुतं घृष्ट मदन गोपयोन्वितम् ।। (८११९) सैन्धवादिनस्यम् (२) नस्यतोऽनुदिने मूर्ये निहन्त्येवार्द्धभेदकम् ॥ (भै. र. । ज्वरा. ; वृ. नि. र. ; वै. र. ; भा. मैनफल और मिश्रीको गोदुग्धमें पीस कर | प्र. म. खं. २ । ज्वरा. ; वृ. यो. त.। त. ५९) प्रातःकाल नस्य देनेसे अर्द्धावभेद ( आधे शिरकी | सैन्धवं श्वेतमरिचं सर्पप कुष्ठमेव च। पीड़ा ) का नाश होता है। | वस्तमूत्रेण सम्पिष्य नस्यं तन्द्रानिवारणम् ॥ (४११७) सिन्दवारादिनस्यम् सेंधा नमक, सहजनेके बीज, सरसों और कूठ (वा. भ. । उ. अ. ३८) इनका चूर्ण समान भाग ले कर सबको बकरीके सिन्दुवारस्य मूलानि बिडालास्थिविषं नतम् । मूत्रके साथ पीस कर नस्य देनेसे तन्द्रा नष्ट हो जलपिष्टोऽगदो हन्ति नस्याबैराखु विषम् ॥ जाती है । इति सकारादिनस्यप्रकरणम् For Private And Personal Use Only
SR No.020118
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages633
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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