SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 192
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कषायप्रकरणम् ] पश्चमी भागः १७७ अथ षकारादिकषायप्रकरणम् (७७३९) षडङ्गक्वाथ ___ खस, लाल चन्दन, सुगन्धबाला, द्राक्षा (यो. चि. । का. ; भा. प्र. । शिरो. ; (मुनक्का), आमला और पित्तपापड़ा समान भाग ले कर इनसे पानी सिद्ध करें। वृ. नि. र. | शिरो.) यह पानी दाह, पिपासा और ज्वरको शान्त पथ्याक्षधात्रीभूनिम्बैनिशानिम्बामृतायुतैः। करता है। कृतः क्वाथः षडङ्गोयं सगुडः शीर्षशूलहा ॥ (समस्त ओषधियां समान भाग मिश्रित १॥ भ्रशङ्ककर्णशूलानि तथाशिरसोरुजम् । | तोला, पानी १ सेर, शेष आधा सेर । ठंडा होने सूर्यावर्त शङ्ख च दन्तपातञ्च तद्रुजः ॥ नक्तान्ध्यं पटलं शुक्र चक्षुःपीडां व्यपोहति । षडङ्गपानीयम् (२) हर्र, आमला, चिरायता, हल्दी, नीमकी (भै. र. । ज्वरा. ; च, द. । ज्वरा.) छाल और गिलोय समान भाग ले कर काथ प्र. सं. ५०७८ देखिये । बनावें । ___(७७४१) षोडशाङ्गः (र. र. । ज्वरा.) ___ इसमें गुड़ मिला कर सेवन करनेसे शिर त्र्यूषणं दशमूलं शठी शृङ्गी भार्गी छिन्नोद्भवः शूल, भ्रशूल, शंखक शूल, कर्ण शूल, अर्धावभेद, | क्वाथः। सूर्यावर्त, शंखक, दन्तपात, दन्त पीड़ा, नक्तान्ध्य, । पटल, शुक्र और चक्षुपीडाका नाश होता है। '| पीतः शमयति सहसा ज्वरं चोग्रं सन्निपात भवम् ॥ (७७४०) षडङ्गपानीयम् (१) सोंठ, मिर्च, पीपल, दशमूलकी प्रत्येक _ ( भा. प्र. । म. खं. २ सन्निपाता.) । औषधि, कचूर, काकडासिंगी, भरंगी और गिलोय उशीरचन्दनोदीच्यद्राक्षामलकपर्पटैः। समान भाग ले कर काथ बनावें । शृतं शीतं जलं दद्याद्दाहतृड्ज्वरशान्तये ॥ यह काथ उग्र सन्निपात ज्वरको नष्ट करता है। इति षकारादिकषायपकरणम् -HD 23 For Private And Personal Use Only
SR No.020118
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages633
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy