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[ ५५२ ]
संख्या प्रयोगनाम
२२७२ त्रिफलादि कषायः फेनप्रमेह
૨૨૮૨
काथः सर्व प्रमेह
૨૧૮૮
२२९५
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१७३९
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१२२९ गगनायस चूर्णम्
१२३८ गन्धकयोगः १६९६ चन्दनादिचूर्णम्
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१३१५ गोक्षुरादिवटी
१७३६ चन्द्रप्रभा गुटिका
- १७३७
चूर्णप्रकरणम्
ܕܪ
१६९९ चन्दनादिचूर्णम
२३०६ तालकन्दादि योग: मूत्रातिसार २३५५ त्रिफलादि चूर्णम् सर्व प्रमेह
गुटिकाप्रकरणम्
वटी
मुख्य गुण
बहुमूत्र
प्रमेह
चिकित्सा - पथ-प्रदर्शिनी
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प्रमेह, अश्मरी, मू
त्रकृच्छ्र, ज्वर, कास प्रमेहfपडिका लसिका मेह, और रक्तवाला प्रमेह
पीप
( सोजाक ), तृष्णा,
ज्वर
शुक्रमेह, खांसी, ज्वर, अर्श
वातजप्रमेह, मूत्राघात प्रबलप्रमेह
प्रमेह, निर्बलता, ज्वर,
अश्मरी, शुक्रविकारादि प्रमेह, मूत्रकृच्छू अ
श्मरी, शुक्रतारल्य, अण्डवृद्रयादि अनेक रोग (प्रमेही प्रसिद्ध औषध है )
संख्या प्रयोगनाम
मुख्य गुण
२३९७ त्रिकटुकादिमोदकः भयङ्कर प्रमेह २४१७ त्रोटहरीगुटिका
१३३७ गोक्षुरादि गुग्गुलु
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गुग्गुलु प्रकरणम्
१३४९ गोक्षुरपाकः
१३५० गोक्षुरपाकः
प्रदर, वायु
२४२८ त्र्यूषणादिगुटिका प्रमेह, मूत्राघात,
उदररोग.
वाजप्रमेह, कफरोग
अवलेहमकरणम्
१३४४ गोकण्टकाद्यवलेह : मधुप्रमेह, मूत्रकी
दाह, मूत्ररुधिर, शु
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१८११ चन्दनासवः
१८१२
प्रमेह, मूत्रकृच्छ्र,
मूत्राघात, अमरो,
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घृतप्रकरणम्
२४४२ त्रिकण्टकादिघृतम् पित्तप्रमेह ।
कस्राव
प्रमेह, अर्श, क्षीणता,
( वाजीकरण है | )
प्रमेहनाशक, वीर्यस्तम्भक, वाजीकरण
आसवारिष्टप्रकरणम्
शुक्रमेह शुक्रदोष, सर्वप्रमेह,
मूत्रकृच्छ्र, औपसर्गिक मेह