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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ५७८ www.kobatirth.org कनेरकी जड़, नीम की जड़, कुड़े को जड़, अमलतास की जड़ और चीतेकी जड़ समान भाग लेकर कूट कर आठ गुने गोमूत्र में पकावें और चौथा भाग रहने पर छानकर उसे पुन: पकायें | जब करछी को लगने लगे तो अग्निसे नीचे उतार कर ठंडा कर लें 1 भारत - भैषज्य रत्नाकरः इसका लेप करने से कुछ नष्ट होता है । (९३९८) करवीरादिलेप: (२) ( न. मृ । त. ६ ) करवीरमूलत्वचं सम्म बृहतीर से । विधिनापयेच्छिने ध्वजस्योत्तेजनाय वै ॥ कनेरकी जड़ की छालको बड़ी कटेली के रसमें पीसकर लिंग पर लेप करनेसे काम त्तेजना तीत्र है। (९३९९) करवीरादिलेप: (३) ( व. से. । ज्वरा. ; ग. नि. । ज्वरा. ) करवीरस्य पत्राणि चन्दनं सारिवा तिलाः । हृष्णानः शिरसाऽऽलेप आरनालेन पेषितः ॥ (९४००) कर्कटयोगः ( व. से. | बालरोग. ) कनेर के पत्ते ( पाठान्तर के अनुसार फूल ), लाल चन्दन, सारिवा और तिल समान भाग लेकर कांजीमें पीसकर शिरपर लेप करनेसे उबरकी पिपासा शान्त हो जाती है । कर्कशा विपक्षीरेण चरणतलेपनादचिरात् । १ पुष्पाणीति पाठान्तरम् Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दन्तदंष्ट्रात शब्दं शमयति बहुधैव दृष्टमिदम् || A [ ककारादि काकड़ासिंगी और सागोनकी लकड़ीके साथ सिद्ध दूधका ( सोते समय ) बालक के पैरोंके तलुवों पर लेप करने से नींद में दांत बजाना शीघ्रही बन्द हो जाता है । यह प्रयोग अनेक बारका परीक्षित है। ( काकड़ासिंगी और सागोन ३-३ माशे, दूध ४ तोले, पानी १६ तोले । पानी जलने तक पक्रावें । ) (९४०१) कर्णिकारादिलेपः ( र. चि. म. । स्त. ३ ) कर्णिकारसूनानि कृतसूक्ष्माणि काक्षिके । क्षेपणीयानि तेषां वै मर्दनं कारयेद्भिषक् ॥ दनत्रिचतुराध्वं ददुनाशो भषेद्ध्रुवम् । मण्डलं न च दृश्येत न च कण्डूः क्वचिद्भवेत् ॥ | छोटे अमलतास के फूलको बारीक पीसकर काञ्जी में मिलाकर दाद पर मलें। इसी प्रकार ३-४ दिन करनेसे दाद अवश्य न हो जाता है और मण्डल या खाजका नाम तक नहीं रहता । (९४०२) कर्पूरादिलेप: For Private And Personal Use Only ( वृ. यो. त । त. १४७ ) कर्पूरं टङ्कणं मृतं तुल्यं पुनरसं मधु । सम्मर्थ पयेल्लिङ्गं स्थित्वा यामं तथैव च ॥ ततः प्रक्षाल्य रमयेद्वनितानां शतं सुखम् । वार्यस्तम्भकरं सम्यक्सम्यङ्नागार्जुनोदितम् ॥ कपूर, सुहागा (कच्चा) और पारा सपान भाग लेकर एकत्र खरल करें और फिर उसमें थोड़ा थोड़ा अगस्ति ( अगथिया ) का रस और शहद मिलाकर लेप सा बना ले 1
SR No.020114
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages700
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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