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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चूर्णप्रकरणम् ] परिशिष्ट ५११ अथ एकारादिचूर्णप्रकरणम् (९१४३) एरण्डमूलाधं चूर्णम् । के बीजों के चूर्ण को तक के साथ पीने से मूत्र (ग. नि. । कासा. १०) कृच्छु का नाश होता है। एरण्डमूलं बृहती च वांशी (९१४६) एलादिचूर्णम् (१) __कटुवयं कर्कटभृङ्गिका च । (यो. र. । प्रदग , फलत्रयं वै लवणानि पश्च एलामंशुमती द्राक्षामुशीरं तिक्तरोहिणीम् । चूर्ण हरत्युष्णजलेन कासम् ॥ चन्दनं कृष्णलवणं सारिवालोध्रसंयुतः । अरण्डमूल, बड़ी कटेली, बंसलोचन, सोंठ, वातासम्मरशान्त्यर्थ पिबेहध्ना सहान. . मर्च, पीपल, काकड़ासिंगी, हर्र, बहेड़ा, आमला | पित्तामुग्दरशान्त्यर्थं सक्षौद्रं ललना पिबेत् ॥ और पांचों नमक समान भाग लेकर चूर्ण बनावें । इलायची, शालपर्णी, द्राक्षा, खस, कुटकी, इसे उष्ण जलके साथ सेवन करने से खांसी सफेद चन्दन, काला नमक, आरिवा और लोध नष्ट होती है। समान भाग लेकर चूर्ण बनावें । (मात्रा–२-३ माशे ।) इसे दही के साथ पीनेसे वातज प्रदर और (९१४४) एरण्डादिकल्कः शहदके साथ पीनेसे पित्तज प्रदर नष्ट होता है । (यो. र. । अश्मर्य.) (पात्रा-२-३ मारो ।) गन्धर्वहस्तबहतीव्याघ्रीगोक्षुरकेचरात् । (९१४७) एलादिचूर्णम् (२) मूलकल्कं पिवेद्दध्ना मधुरेणाश्मभेदनः । (वै. म. र. । पटल ४ ) भरण्डमूल, बड़ा कटेलो को जड़, छोटी कटेली की एलालबाल्कलतमालदल रजो मधुविमिश्रम् । जड़, गोखरू की जड़ और तालमखानेको जड़ समान लीढं वमि निहन्याद्रिल्यवराव्योषचूर्ण वा। भाग लेकर मीठी दही के साथ बारीक पीसकर पीनेसे | इलायची, लौंग, दालचीनी और तेजपात समान अश्मरिका नाश ह ता है। भाग लेकर चूर्ण बनायें । (९१४५) एलाचूर्णयोगः इसे शहदमें मिलाकर चाटनेसे वमन नष्ट (यो. र. । मूत्रकृच्छ्रा.) होती है। पिवेन्मधेन मूक्ष्मैलां धात्रीफलरसेन वा। ( मात्रा-१-१ माशा । १-१ घंटा बाद शितिवारकबीजं वा तक्रे श्लक्ष्णं च चूर्णितम् ।। दिनमें ५-६ बार ।) छोटी इलायची के चूर्णको मद्य अथवा आम- बेलगिरी, हर, बहेड़ा, आमला, सोंठ, मिर्च लेके फलके रसके साथ सेवन करने से या चांगेरी और पीपल; इनका चूर्ण भी वमनको नष्ट करता है। For Private And Personal Use Only
SR No.020114
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages700
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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