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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ४७६ www.kobatirth.org भारत - भैषज्य रत्नाकरः अजाजी चव्या रुचर्क सबह्निमूलं विडङ्गं सह दीप्यकश्च ॥ सक्षारवित्रिकगन्धा पला भाविपचेद्विधिज्ञः । अत्र धान्याकचाङ्गेरीदशमूली समं पृथक् । afa : प्रस्थं निहन्त्याशु ग्रहणीं सर्वजां नृणाम् । विष्टम्भमामजात्री गान्कृमिजान्कुक्षेिजांस्तथा । मन्दानलभवान्सर्वान्नभस्वानिव वारिदम || कल्क - - भिलावा, हींग, पीपल, मुलैठी, पूतिकरंज, सोंठ, काली मिर्च, गज पीपल, जीरा, चव्य, संचल ( काला नमक ), चोतामूल, बायबिडंग, अजवायन, जवाखार, होंग, त्रिकुटा (सोंठ, मिर्च, पीपल) और बच २॥ - २॥ तोले लेकर कल्क बनावें । सेर घीमें उपरोक्त कल्क तथा २-२ सेर धनियेका क्वाथ, चांगेरीका रस, दशमूलका क्वाथ और पानी मिलाकर पकावें । जब जलांश शुष्क हो जाय तो घीको छान लें । [ आकारादि इसके सेवन से सर्व दोषज ग्रहणी, विष्टम्भ, आमजनित रोग, कृमि विकार, उदररोग और अग्निका नाश होता है । ( मात्रा -- १ से २ तोले तक । ) (९०४१) आकघृतम् ( व. से. । उदरा. ) (९०४२) आगारधूमाथं तैलम् ( धन्व. । नासा. ) गृहधूमकणादारुक्षारनक्ताह सैन्धवैः । सिद्धं शिखरिवीजैश्च तैलं नासार्शसां हितम् || नवघृतमा कल्कस्वरसाभ्यां परिसाधितं च विधिना । श्वयथूदराग्निसादैरभिभूतः पिबेद्भवत्यरोगः ॥ कल्क —— घरका धुवां, पीपल, देवदारु, जवाखार, करञ्जकी छाल, सेंधा नमक और अपामार्ग इत्याकारादिघृतप्रकरणम् १ सेर ताज़े धीमें १० तोले अदरकका कल्क और ४ सेर अदरकका रस मिलाकर पकावें । जब रस जल जाए तो धीको छान लें I ---- Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इसके सेवन से शोथोदर और अग्निमांधका नाश होता है । ( मात्रा - १ से २ तोले तक । ) अथाकारादितैलप्रकरणम ( चिरचिटे ) के बीज समान भाग मिलित ( १० तोले ) लेकर कल्क बनावें । १ सेर तेलमें यह कल्क और ४ सेर पानी मिला कर पकावें । जब पानी जल जाए तो तेलको छान ले 1 इसे लगाने से नासार्श ( नाकके मस्से ) की नाश होता है । For Private And Personal Use Only
SR No.020114
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages700
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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