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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खकारादि-आसवारिष्ट (३३५) भागीशठीकुष्ठजलाजमोद | खार्जूरसंज्ञः खलु आसवोऽयं पलक्षापिप्पलीमूलकानि॥ विचिकायमभयं निहन्ति ॥ पुनर्नवा कायफलं प्रियङ्गुः हृद्रोगकासविषमज्वरशोफतर्ष ____कर्चुरकं कृष्णअजाजिविस्र । श्वासप्रमेहबलसंक्षयपाण्डुरोगान् । त्रिवृच्छिवाच्छलिधमासकं च हिमाश्च शीर्षगतरोगवियोगकारी लालरोहीतकलिञ्जमूलम् ॥ रुच्यग्निवर्धनबलादवृष्य एषः । अमूनि सर्वाणि महौषधानि खजूर, नागरमोथा,आमला, कायफल, मुनक्का, । चत्वारि चत्वारि पलोन्मितानि । हैड़, सुपारी के फूल, पाठा, भारंगी, कपूर कचरी, मांसीचतुर्जातकणालवङ्गं कूठ, सुगन्धबाला, अजमोद, गूगल, पीपलामूल, जातिफलं चन्दनलोहचूर्णम् ॥ पुनर्नवा (बिसखपरा) कायफल, फूलप्रियंगु, कचूर, प्रमाणतो द्विद्विपलान्यमूनि कालीमिर्च, जीरा, चणकमूली (मूलीभेद) निसोत, सुधातकीपुष्पमणानि सप्त। हैड़की बकली, धमासा, लज्जाल, रुहेडे की छाल, गुडस्य सप्त त्रिगुणानि दद्यान् कुड़े की जड़ और सोंठ १।-११ सेर । जटामांसी, मणानि संचूर्ण्य ततः समस्तम् ॥ चातुर्जात (दालचीनी, तेजपात, इलायची, नागकेसर) घृतस्य भाण्डे विपुले निवेश्य पीपल, लौंग, जायफल, चन्दन और लोहे का बुरादा दशोत्तरं शेरशतं जलस्य। १०-१० तोला तथा धायके फूल ७ मन और क्षिप्त्वा क्षिपेत्पश्च दिनानी भूमी गुड़ २१ मन लें । सवका चर्ण करके ११० सेर निष्पन्नकलकं हृदये विचार्य । पानीमें मिलाकर अच्छे बडे चिकने बरतनमें संधान षष्ठे दिने तच नियोजनीयं | करके भूमि में गाढ़ दें, फिर छठे दिन उसमें ३०० ताम्रस्य यन्त्रद्वयमध्यभागे। नग पान और २००० नग कमल डालकर तांबे शतत्रयं नागलतादलानां सहस्रयुग्म शतपत्रकानाम् । के भबकेसे अर्क खींचे । प्रक्षाल्य देयं विधिनाथ सन्धि इसे ५ तोला या रोगी के बलाबल के अनुसार विमुन्ध चुल्ल्यां विनिवेश्य यन्त्रम्। न्यूनाधिक मात्रा में सेवन कराने से विषूचिका (हैजा) निष्काशयेदकर्मतो यथावद् राजयक्ष्मा, हृद्रोग, खांसी, विषमज्वर, सूजन, तृषा, दवा जलं चोपरि यन्त्रकस्य ॥ श्वास, प्रमेह, कमज़ोरी, पाण्डु, हिक्का तथा शिरके बलावलं रोगनिपीडिताना | रोगों का नाश होता है, एवं अग्नि, बल, वीर्य और विमृश्य देयः पलिकाप्रमाणः। । रुचि की वृद्धि होती है। For Private And Personal Use Only
SR No.020114
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages700
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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