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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org कुष्ठाश्वगन्धामृता । मोचरस विदारिमुषली गोक्षुरकरः ॥ रम्माकन्दशतावरीत्वजमोदा मांसीतिलाधान्यकम् । ( २२८ ) [७५५] कामेश्वरो मोदकः (१) (भै.र.। ग्रह.) स सम्यङ्गमारितमभ्रकं कट्फलं भारत- भैषज्य रत्नाकर Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अभ्यासेन निहन्ति मृत्युपलितं कामेश्वरो वत्सशत् । सर्वेषां हितकारणानि गदितः श्री नित्यनाथेन सः || वृद्धानां मदनोदयोदयकरः प्रौढांगना संगमे । सिंहोऽयं समदृष्टिप्रत्ययकरो भूपैः सदासेव्यताम् ॥ (तत्रान्तरेऽस्य महाकामेश्वर संज्ञा ) टीनागवला कर्चरमदनं जातीफलं सैन्धवम् ॥ भार्गी कर्कटङ्गिकं त्रिकटुकं जीरद्वयं चित्रकम् । चातुर्जात पुनर्नवा गजकणा द्राक्षाशी बालकम् ॥ शाल्मल्यंघ्रिफलत्रिकं कपिभवं बीजं समं चूर्णयेत् । चूर्णांशाविजयासिताद्विगुणिता मध्वाज्ययोः पिण्डितम् ॥ कशागुडिकार्यकर्षमथवा सेव्या तदा कामिभिः सेव्यं क्षीरसितं सुवीर्यकरणं स्तम्भेऽप्ययं कामिनाम् || वामावश्यकरः सुखातिसुखदो बह्वङ्गनाद्रावणः । ७॥ ७॥ माषेके मोदक बनावें । क्षीणेपुष्टिकरः क्षतक्षयरो हन्याच्च सर्वामयान् ॥ कासश्वासमहातिसारशमनः कामाग्निसंदीपनो। दुर्नामग्रहणी प्रमेहनिवह श्लेष्मातिरेकप्रणुत् || नित्यानन्दकरो विशेष कविता arat विलासोद्भवाम् | सर्वगुणं महास्थिरमतिबलो नितान्तोत्सवः ॥ अभ्रककी उत्तम भस्म, कायफल, कूठ, असगन्ध, गिलोय, मेथी, मोचरस, विदारीकन्द, मूसली, गोखरू, तालमखाना, केलेकी मूसली, शतावर, अजमोद, जटामांसी, तिल, धनिया, कपूरकचरी, गंगेरन, कचूर मैनफल, जायफल, सेंधा, भारंगी, काकड़ा सींगी, त्रिकुटा, जीरा, कालाजीरा, चीता, दालचीनी, इलायची, तेजपात, नागकेसर, पुनर्नवा (साठी) गजपीपल, दाख, कपूरकचरी, सुगन्धवाला, भल की मूसली, त्रिफला और कौंच के बीज । सब चीजें समान भाग । शुद्ध भांग * सबके बराबर और खांड सबसे दुगुनी । खांडकी चाशनी करके उसमें सब चीजों का चूर्ण मिलायें और फिर ठंडा होनेपर शहद और घी मिलाकर ११ - १ | तोले या यह कामी पुरुषों के सेवन करने योग्य, स्तम्भक, वशीकरण, अत्यन्त सुखदायक, कामिनी विद्रावक, पौष्टिक, क्षत और क्षयनाशक, खांसी, श्वास, घोर अतिसार नाशक, कामाग्नि सन्दीपक, बवासीर, संग्रहणी, प्रमेह और कफनाशक तथा वाग्वर्द्धक हैं । एवं इनके सेवन से अकाल मृत्यु और पलित आदि रोग नष्ट होते हैं। यह सब के लिये * भांगको भले प्रकार धो लेना चाहिये। For Private And Personal Use Only
SR No.020114
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages700
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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