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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उकारादि-गुटिका (१६७) वंसलोचन, तेजपात और काला अगर । सब का | साथ सेवन करने से रक्तपित्त, तमक श्वास, पिपासा चूर्ण समान भाग । मिश्री सब से अठगुनी और दाह का नाश होता है। ___ इस चूर्ण को सेवन करने से रक्त बमन और [४९१] उशीरादि चूर्णम् (३) सन्ताप का नाश होता है। (वृ. नि. र., शूले) [४९०] उशीरादि चूर्णम् (२) उशीरं पिप्पलीमूलं चूर्ण कृत्वा समांशतः । (वृ. नि. र., रक्तपि.) गोघृतेन समं पीतं हन्ती हच्छूलमुल्वणम् ॥ उशीरकालीयकलोधपद्मकम् ___ खस और पीपलामूल बराबर लेकर चूर्ण प्रियंगुकाकदफलशङ्खगैरिकम् । करके गोघृत के साथ पीने से हृदय शूल का नाश पृथक्पृथक्चन्दनतुल्यभागिकं होता है। सशकरं तंदुलधावनप्लुतम् ॥ [४९२] उशीरादी चूर्णम्(वृ. नि. र; शूले) सरक्तपिसं तमकं पिपासां उशीरं सैन्धवं हिङ्गु मूलमेरण्डजं समम् । दाहं च पीतं शमयेद्धि सद्यः ॥ वातशूलं निहन्त्येव भुक्तं तप्तेन वारिणा ॥ खस, दारुहल्दी, लोध, पद्माक, फूलप्रियंगु, खस, सेंधानमक, हींग और अरण्डमूल सब कायफल, शंख, गेरू और चन्दन, सब समान भाग। समान भाग लेकर चूर्ण करके गर्म पानीके साथ इनके चूर्ण में खांड मिलाकर चावलों के सेवन करनेसे वातज शूलका नाश होता है। अथ उकारादि गुटिकाप्रकरणम्। [४९३] उन्मादभञ्जनी गुटीका चातुर्थकमपस्मारमुन्मादं च विनाशयेत् ॥ (र. सा. सं; उन्माद) शुद्ध मनसिल, सेंधा नमक, कुटकी, बच. सुद्धं मनःशिलाचूर्ण सैन्धवं कटुरोहिणी। सिरस के बीज, हींग, सफेद सरसों, करंजवे की वचा शिरीषबीजश्च हिङ्ग च श्वेतसर्षपम् ॥ | गिरी, त्रिकुटा और कबूतर की बीट, सब चीजोंक करञ्जबीजं त्रिकटुं मलं पारावतस्य च । चूर्ण समान भाग लेकर गोमूत्र में पीसकर इन्द्र जौ एतानि समभागानि गौमूत्रटिकां कुरु ॥ के बरावर गोलियां बनाकर छाया में सुखाकर गिरिमल्लीबीजसमा छायाशुष्काच कारयेत् ।। रखें । इनमें से १-१ गोली सुबह शाम और प्रातःसन्ध्यानिशाकाले चक्षुपोरंजनं हितम् ।। रातको मधुरादि गण के रस या जल में घिस कर मधुरादि रसे चांज्यं रात्रावपिजलेन घ अ नन करने से चौथिया बुखार, अपस्मार (मिरगी) वटिकका समाख्याता नाम्ना चोन्मादमजिनी। और उन्माद का नाश होता है। For Private And Personal Use Only
SR No.020114
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages700
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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