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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra व्याख्याप्रशतिः ११६७॥ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir होय छे ? [ उ० ] एक पण प्रदेश अवगाढ नथी. [प्र०] केटला अधर्मास्तिकायना प्रदेशो अवगाढ रहेला होय ? [अ०] एक अधमस्तिकायनो प्रदेश रहेलो होय. [प्र०] केटला आकाशास्तिकायना प्रदेश अवगाढ होय. [३०] एक प्रदेश अवगाढ होय. [प्र० ] केटला जीवास्तिकायना प्रदेशो अवगाढ होय ? [उ०] अनन्त प्रदेशो अवगाढ होय. [प्र०] केटला पुद्गलास्तिकायना प्रदेशो अवगाढ होय ? [ उ ] अनन्ता प्रदेशो अवमाढ होय. [प्र०] केटला अद्धासमयो अबगाढ दोय ? [३०] अद्धासमयो कदाच अवगाढ होय अनेकदाच अवगाढ न होय; जो अवगाढ होय तो अनन्त अद्धासमयो अवगाढ होय. [प्र०] हे भगवन् ! ज्यां अधर्मास्तिकायनो एक प्रदेश अवगाढ रहेलो होय त्यां केटला धर्मास्तिकायना प्रदेशो अवगाढ होय ? [३०] त्यां धर्मास्तिकायनो एक प्रदेश अवगाढ होय. [प्र० ] केटला अधर्मास्तिकायना प्रदेशो अवमाढ होय ? [अ०] एक पण नथी. बाकी बधुं धर्मास्तिकायनी पेठे जाणवुं. [प्र० ] हे भगवन् ! ज्यां आकाशास्तिकायनो एक प्रदेश अवगाढ होय त्यां केटला धर्मास्तिकायना प्रदेशो अवगाढ होय ? [30] त्यां धर्मास्तिकायना प्रदेशो कदाच अवगाढ रहेला होय, अने कदाच न अवगाठ होय. जो अत्रगाढ होय तो एक प्रदेश अवगाढ होय. ए प्रमाणे अधर्मास्तिकायना प्रदेशो पण जाणवा. [प्र०] केटला आकाशास्तिकायना प्रदेशी अवगाढ होय ? [30] एक पण न होय. [प्र० ] केटला जीवास्तिकायना प्रदेशो अवगाढ होय ? [ उ ] कदाच अवगाढ होय अने कदाच अवगाढ न होय. जो अवगाढ होय तो अनन्त प्रदेशो अवगाढ होय. ए प्रमाणे यावत् - अद्धासमय सुधी जाणवु [प्र० ] हे भगवन् ! ज्यां जीवास्तिकायनो एक प्रदेश अवगाढ होय त्यां केटला धर्मास्तिकायना प्रदेशो अवगाढ होय १ [उ०] हे गौतम! त्यां एक प्रदेश अवगाढ होय. ए प्रमाणे | अधर्मास्तिकायना प्रदेशो पण जाणवा. आकाशास्तिकायना प्रदेशो पण ए रीते जाणवा. [प्र०] जीवास्तिकायना केटला प्रदेशो अन For Private And Personal १२ शतके उद्देशः ४ ११६७॥
SR No.020110
Book TitleBhagvati Sutram Part 05
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1940
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size14 MB
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