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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir प्राप्ति ॥११६६॥ AKA धर्मास्तिकायनी पेठे जाणवू. ए प्रमाणे ए पाठबडे सर्वे पण स्वस्थानके एक पण प्रदेशवडे स्पर्श करायेल नथी, परस्थानके-आदिना त्रण स्थानके-धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय अने आकाशास्तिकाय एत्रण स्थळे असंख्याता प्रदेशोवडे स्पर्श करायेल होय एम कहे. अने पछीना त्रण स्थळे 'अनन्त प्रदेशोबडे स्पर्श करायेल होय'-एम यावत्-अद्धा समय सुधी कहे, यावद-[प्र.] केटला उमेश अद्धा समयोवडे स्पर्श करायेल होय ? [उ०] एक पण समयबडे स्पर्श करायेल न होय. 15॥११५६॥ जत्थ णं भंते ! एगे धम्मत्यिकायपएसे ओगाढे तत्थ केवतिया धम्मत्थिकायप्पएसा ओगाढा?, नन्थि एकोवि, & केवतिया अहम्मस्थिकायप्पएसा ओगाढा ?, एक्को, केवतिया आगामत्थिकाय. १, पक्को, केवतिया जीवस्थि०१, अणता, केवतिया पोग्गलत्यि.?, अणंता, केवतिया अद्धासमया?, सिय ओगाढा सिय नो ओगाढा, जइ ओगाढा अणता । जत्थ ण भंते ! एगे अहम्मत्धिकायपासे ओगाढे तस्थ केवतिया धम्मथि०१, एको, केवतिया अहम्मथि० १, नस्थि एकोवि, सेसं जहा धम्मत्थिकायस्स । जत्थ ण भंते ! गगे आगासस्थिकायपएसे ओगाढे तत्थ केवतिया धम्मस्थिकाय.?, सिय ओगाढा मिय नो ओगाढा, एको, गवं अहम्मत्थिकायपएसावि, केवइया आगामस्थिकाय.?, नथि एकोवि, केवतिया जीवत्थि० ?, सिय ओगाढा मिथ नो ओगाढा, जइ ओगाढा अणता, एवं जाव अद्धाममया। जत्थ णं भंते। एगे जीवस्थिकायपएसे ओगाढे तत्थ केवतिया धम्मस्थि , एक्को, एवं अहम्मस्थिकाया, एवं आगासस्थिकायपणसावि, केवतिया जीवत्थि.?, अर्णता, सेसं जहा धम्मत्थिकायस्म । [F०] हे भगवन् ! ज्यां धर्मास्तिकायनो एक प्रदेश अवगाढ-रहेलो होय त्यां बीजा केटला धर्मास्तिकायना प्रदेशो अवगाढ RESULAR For Private And Personal
SR No.020110
Book TitleBhagvati Sutram Part 05
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1940
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size14 MB
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