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बाल्याप्रदक्षिः ॥११४५॥
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कहे, बाकी धुं पूर्व प्रमाणे जाणवू. असंख्यातायोजनविस्तारवाळा विमानावासोमा एप्रमाणे त्रण आलापको कहेवा, परन्तु पटलो | विशेष के के ए त्रणे आलापकोमा 'असंख्याता' एवो पाठ कहेवो. अवधिज्ञानी अने अवधिदर्शनी संख्याता च्यवे छे. [ केमके 3१३शतके तीर्थकरादिक अवधिन्नान अने अवधिदर्शन सहित च्यवे अने ते संख्याता होय.] बाकी बर्षा पूर्व प्रमाणे जाणवं. ए प्रमाणे जेम
ना उद्देशा
का॥११४५॥ सौधर्म देवलोकनी वक्तव्यता कही, तेम ईशान देवलोकने विषे [त्रण संख्याताना अने त्रण असंख्याताना] ए प्रमाणे छ आलापको | कहेवा. सनत्कुमारने विषे पण एमज जाणवू, परन्तु एटलो विशेष के के अहिं स्त्रीवेदवाळा उत्पन्न थता नथी, तेम सत्तामा पण होता नथी. त्रणे आलापकोने विषे असंज्ञी न कहेवा. [ कारण के अहिं मंझीथी आवी उपजे छे अने संज्ञीने विष जाय . ] बाकीजें वर्षा पूर्व प्रमाणे जाणवु. ए प्रमाणे यावत्-सहस्रार देवलोक सुधी जाणवू, परन्तु विमानो अने लेश्याओमां विशेष छे. बाकी बर्षा पूर्वनी पेठे जाणवु.
आणयपाणयेसु णं भंते ! कप्पेसु केवतिया विमाणावाससया पणत्ता?, गोयमा! चत्तारि विमाणावाससया |पण्णत्ता, ते ण भंते। किं संखेज असंखेज०, गोयमा! संखेजवित्थ० असंखेजवि० एवं संखेजवित्थडेसु तिन्नि गमगाजहा सहस्सारे असंखेजविस्थडे० उववजंतेसु यचयंतेसु य एवं चेव संखेजाभाणियव्वा, पन्नत्तेसु असंखेजा, नवरं नोइंदियोवउत्ता अणतरोववन्नगा अणतरोगाढगा अणतगहारगा अर्णतरपजत्तगा य एएसिं जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं संखेजा पं० सेमा असंखेज्जा भाणियब्बा। आरणच्चुएसु एवं चेव जहा आणयपाणएतु, नाणत विमाणेसु, पवं गेवेजगावि । कति णं भंते! अणुत्तरविमाणा पन्नत्ता?, गोयमा! पंच अणुत्तरवि
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