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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir 51 १३शतके व्याख्याप्रज्ञप्तिः ॥११४३॥ य असन्नी नत्थि, सेसं तं चेव ॥ है। [प्र०] हे भगवन् ! केटला लाख नागकुमारना आवासो कहेला छे ! [उ.] पूर्व प्रमाणे जाणवा. यावत्-स्तनितकुमार सुधीर उदेश२ [उत्पाद, उद्वर्तना अने सत्ता संबंधे त्रण आलापक] कहेवा, परन्तु एटलो विशेष के के ज्यां जेटला लाख भवनो होय त्यां तेटला 15॥१९४३॥ लाख भवनो कहेवा. [40] हे भगवन् ! वानव्यंतरदेवोना केटला लाख आवासो कहेला छे ? (उ०] हे गौतम ! बानव्यंतरदेवोना असंख्याता लाख आवासो कहेला छे. [प्र०] हे भगवन् ! ते आवासो शु संख्यातयोजनविस्तारवाळाछ के असंख्यातयोजनविस्तारवाळा छे ? [उ०] हे गौतम! संख्यात योजनविस्तारवाला छे, पण असंख्यात योजनविस्तारवाळा नथी. [H०] हे भगवन् ! संख्यातालाख योजनविस्तारवाळा वानभ्यंतरदेवोना आवासने विषे एक समय केटला वानव्यंतरदेवो उपजे [उ०] जेम असुरकुमारोना संख्याता योजनविस्तारवाळा आवासोने विष त्रण आलापको कह्या छे ते प्रमाणे वानव्यंतर संबन्धे पण त्रण आलापको कहेवा. [प्र०] हे भगवन् ! ज्योतिषिक देवोना केटला लाख विमानावासो कह्या छ ? [उ०] हे गौतम ! ज्योतिषिक देवोना असंख्याता लाख विमानावासो कहेला . [प्र०] हे भगवन् ! ते विमानावासो अ॒ संख्यात योजनविस्तारवाळा छे के असंख्यात योजनविस्तावाला छे ? [उ.] ए प्रमाणे जेम वानव्यंतर देवो संबंधे कयु छे, ते प्रमाणे ज्योतिपिकोने पण त्रण आलापको कहेवा, परन्तु एटलो विशेष छे के अहिं एक मात्र तेजोलेश्या कहेवी. उत्पादने विषे अने सत्ताने विष असंज्ञी जीवो उपजता तेम उद्वर्तता नथी, बाकी बधुं पूर्व प्रमाणे जाणवू. सोहम्मे णं भंते! कप्पे केवतिया विमाणावासमयमहस्सा पन्नत्ता?, गोयमा! बत्तीसं विमाणावासमयस । For Private And Personal
SR No.020110
Book TitleBhagvati Sutram Part 05
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1940
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size14 MB
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