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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Sheikslashsagarsuri Gyanmandi व्याख्या प्राप्तिः ॥११२३॥ १२शतके उद्देशान Fध आत्माओ, बार, देशना /PAREL आदेशथी सद्भावपर्यायनी अपेक्षाए, देशना आदेशथी असद्भावपर्यायनी अपेक्षाए अने देशोना आदेशथी तदुभयपर्यायनी अपेक्षाए चतुष्पदेशिक स्कंध आत्मा, नोआत्मा अने आत्माओ तथा नोआत्माओरूपे अवक्तव्य छ, १८ देशना आदेशथी सद्भावपर्यायनी अपेक्षाए, देशोना आदेशथी असद्भावपर्यायनी अपेक्षाए अने देशोना आदेशथी तदुभयपर्यायनी अपेक्षाए चतुष्प्रदेशिक स्कंध आत्मा, नोआत्माओ अने आत्मा तथा नोआत्मा-उभयरूपे अध्यक्तव्य ग्रे,१९ देशोना आदेशथी सद्भावपर्यायनी अपेक्षाए, देशना आदेशथी असद्भावपर्यायनी अपेक्षाए, अने देशना आदेशथी तदुभयपर्यायनी अपेक्षाए चतुष्प्रदेशिक स्कंध आत्माओ, नोत्मा अने आत्मा तथा नोआत्मारूपे अवक्तव्य छे. माटे हे गौतम! ते हेतुथी एम कदेवाय छे के, चतुष्प्रदेशिक स्कंध कथंचिद् आत्मा छ, कथंचिद् नोआत्मा छ भने कथंचित अवक्तव्य , ए निक्षेपमा पूर्वोक्त मांगाओ यावद् "नो आत्मा " त्यांसुधी कहेवा. आया भंते! पंचपरमिए खंधे अन्ने पंचपएसिए खधे?, गोयमा। पंचपएसिए खंधे सिय आया १ सिय नो आया २ सिय अवत्तव्वं आयाति य नो आयाति य ३ सिय आया य नो आया य सिय अवत्तब्वं ४ नो आया य अवत्तब्वेण य ४ तियगसंजोगे एक्को ण पडइ, से केण?णं भंते ! तं चेव पडिउच्चारेयब्वं ?, गोयमा! अप्पणो आदिढे आया १ परस्म आदिद्वे नो आया २ तदुभयस्स आदिढे अवत्तव्वं ३ देसे आदिढे सम्भावपज्जवे देसे आदितु असम्भावपळवे एवं दुयगसंजोगे सव्वे पडति, तियगसंजोगे एक्को ण पडद । छप्पएसिए सब्वे पहंति, जहा छप्पएसिए एवं जाव अणंतपएसिए । सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति जाब विहरति ॥(सूत्र ४६९ ॥ दसमो उद्देसोडू संमत्तो॥ बारसम सयं संमत्तं ॥ १२.१०॥ For Private And Personal
SR No.020110
Book TitleBhagvati Sutram Part 05
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1940
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size14 MB
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