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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir K कर्य. बीजा शरीरान्तरप्रवेशमा उइंडपुर नगरनी बहार चन्द्रावतरण चैत्यने विषना ऐषेयकना शरीरनो त्याग करी मल्लरामना शरी ४ारमा प्रवेश कयों, अने प्रवेश करीने एकवीश वरस सुधी बीजा शरीरान्तरमा परावर्तन कयु. वीजा शरीरान्तरप्रवेशमां चंपानगरीनी ॥१३०६॥ वहार अंगमंदिरनामे चैत्यने विषे मल्लरामना शरीरनो त्याग करी मंडिकना शरीरमा प्रवेश कर्यो, अने त्यां वीश वर्ष सुधी त्रीजुं शरीरान्तर परावर्तन कयु. तेमां जे चोथु शरीरान्तर परावर्तन के ते वाराणसी नगरीनी बहार काममहावन नामे चैत्यने विषे मंडिकना शरीरनो त्याग करी रोहकना शरीरमा प्रवेश कयों, प्रवेश करीने त्यां ओगणीश वर्ष सुधी चोधु शरीरान्तर परावर्तन कयु. तेमा जे पांच शरीरान्तर परावर्तन छे ते आलभिका नगरीनी बहार प्राप्तकाल नामे चैत्यने विषे रोहना शरीरनो त्याग करी भार. द्वाजना शरीरमा प्रवेश कयों, प्रवेश करीने अढार वर्ष सुधी पांचU शरीरान्तर परावर्तन कर्य. तत्य जे से छटे पउद्दपरिहारे से ण वेसालीए नगरीए बहिया कोंडियायणंसि चेयसि भारदाइयस्म सरीरं विप्पजहामि भा०२ अन्जुणगस्स गोयमपुत्तस्स सरीरगं अणुप्पविसामि अ०२ सत्तरस वासाई छर्ल्ड |पउद्दपरिहारं परिहरामि, तत्थ णं जे से सत्तमे पउपरिहारे से णं इहेव सावस्थीए नगरीए हालाहलाए कुंभ. | कारीए कुंभकारावणंसि अज्जुणगस्स गोयमपुत्तस्स सरीरगं विप्पजहामि अज्जुणयस्स २ गोसालस्स मंखलिपु त्तस्स सरीरगं अलं घिरं धुवं धारणिजं सीयसह उण्हसहं खुहासह विविहदसमसगपरीसहोवसग्गसहं घिरसं. घयणंतिकटुतं अणुप्पविसामि तं० २तं से णं सोलस वासाइं इमं सत्तमं पउद्दपरिहारं परिहरामि, एवामेव आउसो । कासवा! एगणं तेत्तीसेणं वाससएणं सत्त पउपरिहारा परिहरिया भवतीति मक्खाया, तं मुटु AESARIBABA ARATE For Private And Personal
SR No.020110
Book TitleBhagvati Sutram Part 05
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1940
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size14 MB
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