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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra व्याख्याप्रति ॥१३०५ ॥ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir लिपुत्तस्स, तत्थ णं जे से पढमे पट्टपरिहारे से णं रायगिहस्स नगरस्स बहिया मंडियच्छिसि चेहयंसि उदाइस्स कुंडियायणस्स सरीरं विष्पजहामि उदा० २ एणेज्जगस्स सरीरगं अणुप्पविसामि एणे० २ बावीसं वासाइं पढमं परिहारं परिहरामि, तत्थ णं जे से दोचे पउट्टपरिहारे से णं उद्दंडपुरस्स नगरस्स वहिया चंदोपरणंसि बेइयंसि एणेजगस्स सरीरगं विप्पजहामि २ ता मल्लरामस्स सरीरगं अणुप्पविसामि मल्ल० २ एकवीस बासाई दोघं पउठ्ठपरिवारं परिहरामि, तत्थ णं जे से तचे पउहपरिहारे से णं चंपाए नगरीए बहिया अंगमंदिरंभि चेहयंसि मल्लरामस्स सरीरगं विष्पजहामि मल्ल • मंडियस्स सरीरंगं अणुष्पविसामि मंडि० २ वीसं वासाहं तवं पपरिहारं परिहरामि, तत्थ णं जे से चउत्थे पडट्टपरिहारे से णं वाणारसीए नगरीए बहिया काममहावणंसि चेहयंसि मंडियस सरीरंगं विप्पजहामि मंडि० २ रोहस्स सरीरगं अणुष्पविसामि, रोह० २ एकूणवीसं वासाइ य उत्थं पट्टपरिहारं परिहरामि तत्थ णं जे से पंचमे पउट्टपरिहारे से णं आलभियाए नगरीए बहिया पत्त| कालगसि चेहसि रोहस्स सरीरगं विप्पजहामि रोह० २ भारद्दाइस्स सरीरगं अणुष्पविसामि भा० २ अट्ठारस वासाई पंचमं पउपरिहारं परिहरामि, आ प्रमाणे- १ ऐणेयक, २ महराम, ३ मंडिक, ४ रोह, ५ भारद्वाज, ६ गौतमपुत्र अर्जुन अने ७ मंखलिपुत्र गोशालकना शरीरमां प्रवेश कर्यो. तेमांचे प्रथम प्रवृचपरिहार- शरीरान्तर प्रवेशमां राजगृहनगरनी बहार मंडिकुक्षिनामे चैत्यने विषे इंडियायन गोत्रीय उदायनना शरीरनो स्थान करी ऐमेयकना शरीरमां प्रवेश कर्यो, प्रवेश करी बाबीश वर्ष सुधी प्रथम शरीरान्तरमां परार्वतन For Private And Personal १५ फे उद्देशः १ ।।१३०५
SR No.020110
Book TitleBhagvati Sutram Part 05
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1940
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size14 MB
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