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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir प्रशतिः रुसमट www.kobatirth.org मध्यमाममाथी नीकळी ज्यां कोष्ठक चैत्व के अने ज्यां श्रमण भगवंत महावीर छे त्या आल्या. त्या आवीने तेणे श्रमण भगवंत महावीरथी थोडे दूर उभा रही श्रमण मगवंत महावीरने आ प्रमाणे को-'हे आम्युमान् काश्यपगोत्रीय! मने ए प्रमाणे सारं कहो बीजेप्रमाणे माकडो १५०सके छो, हे आयुष्यमान् काश्यप ! तमे मने एम ठीक कहो छो के 'मंखलिपुत्र गोशालक मारो धर्मसंबन्धी शिष्य २. जे मंखलिपुत्र ॥१३.०॥ गोशालक समारो धर्म संबन्धी शिष्य हतो ते शुक्र-पवित्र अने शुकामिजातिवाळो-पवित्रपरिणामवाळो थईने मरणसमये काळ करी कोहपण देवलोकने विषे देवपणे उत्पन्न थयो के, हुं कौडिन्यायनगोत्रीय उदायी नामे छु, अने में गौतम पुत्र अर्जुनना शरीरनो त्याग करी मंखलिपुत्र गोशालकना शरीरमा प्रवेश करीने आ सातमो प्रवृत्तपरिहार-शरीरान्तर प्रवेश कयों के.. जेवि याइं आउसो! कासवा! अम्हं समसि के सिझिसु वा सिझंति वा सिजिमस्संति वा सब्वे ते चउरासीति महाकप्पसयसहस्माइं सत्त दिब्वे मत्त संजूहे सत्त संनिगम्भे सत्त पउपरिहारे पंच कम्माणि सय. सहस्साई सहि च सहस्साई छच्च सए तिनि य कम्मसे अणुपुटवेणं खबत्ता तओपन्छा मिति बुज्झति मुचंति परिनिवाइंति मध्यदुक्खाणमंतं करेंसुवा करेंति या करिस्संति वा, से जहा वा गंगा महानदी जओ पवूढा जहिं वा पज्जुबत्थिया एस णं अद्धपंचजोयणसयाई आयामेणं अद्धजोयणं विक्खंभेणं पंच धणुसयाइं उब्वेक्षणं एपणं गंगापमाणेणं मत्त गंगाओ सा एगा महागंगा सत्त महागंगाओ सा एगासादीणगंगा सत्त सादीणगंगाओ सा एगा मधुगंगा सत्त मच्चुगंगाओ सा एगा लोहियगंगा सत्त लोहियगंगाओ सा एगा आवतीगंगा सत्त आव. तीगंगाओ सा एगा परमावती एवामेव सपुवावरेणं एगं गंगासयसहस्सं सत्तर सहस्सा छच्चगुणपन्ना गंगासया For Private And Personal
SR No.020110
Book TitleBhagvati Sutram Part 05
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1940
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size14 MB
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