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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir डा१खतके व्याख्या प्रज्ञप्तिः ॥१०९०॥ उद्देश: १०९०॥ छम्मासे परिवसेना, अस्थि ण गोयमा ! तस्म अयावयस्स केई परमाणुपोग्गलमेत्तेवि पएसे जे ण तासिं अयाणं उच्चारेण वा पासवणेण वा खेलेण वा सिंघाणएण वा वंतेण वा पित्तेण वा पूएण वा सुक्केण वा सोणिएण वा चम्मेहिं वा रोमेहिं वा सिंगेहिं वा खुरेहिं वा नहहिं वा अणाकंतपुब्वे भवइ ?, भगवं णो तिणढे समढे, होजावि णं गोयमा! तस्स अयावयस्म केई परमाणुपोग्गलमत्तवि पएसे जे ण तासिं अयाणं उच्चारेण वा जाव णहेहि वा अणाकंतपुब्वे णो चेव ण एयंसि एमहालगंसि लोगंसि लोगस्स य सासयं भावं समारस्मय अणादिभावं जीवस्स य णिच्च भावं कम्मबहुत्तं जम्मणमरणबाहुल्लं च पडुच्च नथि के परमाणुपोग्गलमत्तेवि पएसे जत्थ णं अयं जीवे न जाए वा न मए वावि, से तेण?णं तं चेव जाव मए नवावि ।। ( सूत्रं ५५७)॥ प्र०] हे भगवन् ! आ एवडा मोटा लोकमां एवो कोई परमाणुपुद्गलना जेटलो पण प्रदेश के के, ज्यां आ जीव उत्पन्न थयो न होय, अने मरण पाम्यो पण न होय ? [उ०] हे गौतम ! ए अर्थ यथार्थ नथी. [प्र०] हे भगवन् ! ए प्रमाणे शा हेतुथी कहो छो के-'आ एवडा मोटा लोकमां एवो कोइ परमाणुपुद्गलमात्र पण प्रदेश नथी, के ज्यां आ जीव उत्पन्न थयो न होय अने मयों न होय' ? [उ०] हे गौतम! जेम कोइ एक पुरुष सो बकरीने माटे एक मोटो अजाब्रज-बकरीनो वाडो-करे, तथा तेमां ओछामां ओछी एक, बे के त्रण अने बधारेमां वधारे एक हजार बकरीओ नांखे, अने ते वाडामां घणुं पाणी अने घणुं गोचर-चरवार्नु स्थळ-होवाथी ते बकरीओ जघन्यथी एक दिवस, बे दिवस के त्रण दिवस अने उत्कृष्टथी छ मास सुधी रहे, तो हे गौतम ! ते वाडानो एवो कोइ परमाणुपुद्गल मात्र प्रदेश होय के जे ते बकरीओनी लिंडिओथी, मूत्रथी, श्लेष्मथी, नाकनां मळथी, वमनथी, For Private And Personal AAR
SR No.020110
Book TitleBhagvati Sutram Part 05
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1940
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size14 MB
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