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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir १४शतके उद्देशा२ ॥१२१५॥ | परिषदना देवोने बोलावे छे, मध्यम परिषदना बोलावेला ते देवो बहारनी परिषदना देवोने बोलावे छे, त्यारपछी बहारनी परिष-18 व्याख्या- |दना बोलावेला ते देवो बहारबहारना देवीने बोलावे छ, अने बोलावेला ते बहार बहारना देवो आभियोगिक देवोने बोलावे हे प्रज्ञप्ति ४ अने बोलावेला ते आभियोगिक देवो वृष्टिकायिक (वृष्टि करनारा ) देवीने बोलावे छे, पछी ते बोलावेला वृष्टिकायिक देवो वृष्टि ॥१२१५॥ हैकरे के. ए प्रमाणे हे गौतम ! देवेन्द्र देवनो राजा शक वृष्टि काय करे छे. [प्र.] हे भगवन् ! असुरकुमार देवो पण शुं वृष्टि करे छे ? [उ.] हे गौतम ! हा, करे हे. [प्र०] हे भगवन् ! असुरकुमार देवो शा हेतुथी वृष्टि करे छ ? [उ.] हे गौतम ! जे आ अरिहंत भगवंतो छ, एओना जन्मोत्सवनिमित्ते, दीक्षोत्सवानिमित्ते, ज्ञानोत्पत्तिनिमित्ते अने निर्वाणना उत्सवनिमित्ते ए प्रमाणे असुरकुमार देवो वृष्टि करे ने ए प्रमाणे नागकुमारो अने यावत्-स्तनितकुमारो सुधी जाणवु. वानव्यंतर ज्योतिषिक अने वैमानिक संबन्धे पण ए प्रमाणे जाणवू. ॥ ५०४॥ जाहे णं भंते। ईसाणे देविंदे देवराया तमुक्कायं काउकामे भवति से कहमियाणिं पकरेति?, गोयमा! ताहे &चेव णं से ईसाणे देविंदे देवराया अभितरपरिसए देवे सद्दावेति, तए णं ते अभितरपरिसगा देवा सद्दाविया | समाणा एवं जहेव सक्कस्स जाब तए णं ते आभिओगियदेवा सद्दाविया समाणा तमुक्काइए देवे सहाति, तए ण ते तमुक्काइया देवा सद्दाविया ममाणा तमुक्कायं पकरेंति, एवं खलु गोयमा! ईसाणे देविंदे देवराया तमुक्कायं पकरेति ॥ अत्थि ण भंते ! असुरकुमारावि देवा तमुक्कायं पकरेंति ?, हंता अस्थि । किं पत्तियन्नं भंते! असुरकुमारा देवा तमुक्कायं पकरेंति ?, मोयमा! किडारतिपत्तियं वा पडिणीयविमोहणट्टयाए वा गुत्तीसंरक्खणहेउं वा HAKAASHASHA CHECIRCRA- SAB For Private And Personal
SR No.020110
Book TitleBhagvati Sutram Part 05
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1940
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size14 MB
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