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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir 567 १४शतके १२१॥ बुट्टिका काउकामे भवति से कहमियाणि पकरेति ?, गोयमा! ताहे चेच ण से सके देविंदे देवराया अम्भितरपव्याख्या &ारिसए देवे सहावेति, तए ण ते अभितरपरिसगा देवा सद्दाविया ममाणा मज्झिमपरिमए देवे सदावेंति, तए णं प्राति ते मज्झिमपरिसगा देवा सद्दाविया ममाणा बाहिरपरिसए देवे सद्दावेंति, तप णं ते बाहिरपरिसगा देवा सद्दा ॥१२१४॥ |विया समाणा बाहिर बाहिरगे देवे सहावेंति, तए णं ते बाहिरगा देवा सद्दाविया समाणा आभिओगिए देवे सदाति, तए णं ते जाव सदाविया समाणा वुट्टिकाए देवे महावति, तए णं ते बुटिकाइया देवा सद्दाविया समाणा बुट्टिकाचं पकरेंति, एवं स्खलु गोयमा ! सक्के देविंदे देवराया बुट्टिकायं पकरेंति ॥ अस्थि णं भंते । असुरकु मारावि देवा बुटिकायं पकरेंति?, हंना अस्थि, किं पत्तियन्नं भंते । असुरकुमारा देवा बुट्टिकायं पकरेंति?, गोयमा! ४ जे इमे अरहंता भगवंता एएसिणं जम्मामहिमासु वा निश्वमणमहिमासु वा णाणुप्पायमहिमासु वा परि. निब्याणमहिमासु वा एवं खलु गोयमा! असुरकुमारावि देवा वुट्टिकायं पकरेंति, एवं नागकुमारावि एवं जाव थणियकुमारा वाणमंतरजोइसियवे० एवं चेव ।। (सू०५०४) ।। | [प्र.] हे भगवन् ! सुंएम छे के काले वरसनार पर्जन्य (मेघ) वृष्टिकाय (जलसमूह) ने वरसावे ? (अथवा जिन जन्ममहोत्सहैवादिकाले वृष्टि करनार पर्जन्य-इन्द्र दृष्टि करे ? [उ०] हा, गौतम वृष्टि करे. [प्र.] हे भगवन् ! ज्यारे देवेन्द्र अने देवनो राजा शक्र वृष्टि करवानी इच्छावाळो होय त्यारे ते वृष्टि केवी रीते करे ? [३०] हे गौतम! (ज्यारे ते दृष्टि करवानी इच्छावाळो होय ) त्यारे देवेन्द्र अने देवनो राजा शक अभ्यन्तर परिषदना देवोने बोलावे छ, अने बोलावेला ते अभ्यन्तर परिषदना देवो मध्यम ROCH For Private And Personal
SR No.020110
Book TitleBhagvati Sutram Part 05
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1940
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size14 MB
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