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________________ Shri Mahar Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kalashsagarsun Gyarmandir CTES १२शतके Select खंधा एगयओ तिपएसिए खंधे भवति, पंचहा कजमाणे एगयओ चत्तारि परमाणु० एगयओ पंचपएसिए संधे भवइ अहवा एगयओ तिन्नि परमाणु पगयओ दुपएसिए० एगयो चउप्पएसिप खेधे भवइ अहवा एगयओ व्याख्या तिन्नि परमाणु० एगयओ दो तिपएमिया खंधा भवंति अहवा एगयओदो परमाणुपोग्गला एगयओ दो दुपएसिया प्रज्ञप्तिः खंधा एगयओ तिपएसिए खंध भवइ अहवा एगयो परमाणु० एगयओ चत्तारि दुपएसिया खंधा भवंति, छहा || | उद्देश ॥१०४८॥ ॥१०४८ कजमाणे एगयओ पंच परमाणुपोग्गला एगयओ चउप्पएसिए खधे भवद अहवा एगयओ चत्तारि परमाणु० एगलायओ दुप्पएसिए पगयओनिप्पएमिए खंधे भवति अहवा पगयओ तिलि परमाणु एगयभो तिन्नि दुप्पएसिया | खंधा भवंति. सत्तहा कलमाणे एगयओ छ परमाणु, एगयओं तिप्पएमिए खंधे भवति अहवा एगयओ पंच परमाणु० गयओ दो दुपएसिया खंधा भवंति, अट्टहा कन्जमाणे गमयओ सत्त परमाणु एगयओ दुपएसिए खंधे भवति, नव हा क जमाणे नव परमाणुपोग्गला भवति ।। [प्र.] हे भगवन् ! नव परमाणुगलो संबन्धे प्रश्न. [उ०] हे गौतम ! नवप्रदेशनो एक स्कंध थाय छे; अने जो तेना विभाग करवामां आवे तो (बे, व्रण, चार, पांच, छ, सात, आठ के) यावत नव विभाग थाय छे. तेना जो बे विभाग थाय तो एक तरफ एक परमाणुपुद्गल अने एक तरफ एक अष्टप्रदेशिक स्कंध थाय छे. ए प्रमाणे एक एकनो संचार करयो; यावत्-अथवा एक तरफ हैं एक चार प्रदेशनो स्कंध अने एक तरफ पांचप्रदेशनो स्कंध थाय छे. जो तेना त्रण भाग करवामां आवे तो एक तरफ वे परमाणुपु. द्रलो, अने एक तरफ एक सप्तप्रदेशिक स्कंध थाय छे. अथवा एक तरफ एक परमाणुपुद्गल, एक तरफ द्विप्रदेशिक स्कंध, अने एक AKAR For Private And Personal
SR No.020109
Book TitleBhagvati Sutram Part 04
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1939
Total Pages235
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size6 MB
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