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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ८ शतके जइ मोसमणप्पयोगपरिणए कि आरंभमोसमणप्पयोगपरिणए वा! एवं जहा सञ्चणं तहा मोसेणवि,एवं सच्चाव्याख्या लामोसमणप्पओगपरिणएणवि, एवं असचामोसमणप्पयोगेणवि। जइ वइप्पयोगपरिणए किं सच्चवइप्पयोगपरिणए प्रज्ञतिः मोसवयप्पयोगपरिणए०एवं जहा मणप्पयोगपरिणए तहा वयप्पयोगपरिणएवि जाव असमारंभवयप्पयोगपरिणए है| उद्देशः १ ॥५९२॥ कावा। जइ कायप्पयोगपरिणए किं ओरालियसरीरकायप्पयोगपरिणए ओरालियमीमासरीरकायप्पयो वेउब्वि. ॥५९२॥ यसरीरकायप्पयो० वेउब्वियमीसासरीरकायप्पयोगपरिणए आहारगसरीरकायप्पओगपरिणए आहारकमीसासरीरकायप्पयोगपरिणए कम्मासरीरकायप्पओगपरिण?, गोयमा! ओरालियसरीरकायप्पओगपरिणए वा जाव कम्मासरीरकायप्पओगपरिणए वा,जइ ओरालियसरीरकायप्पओगपरिणए किं एगिदियओरालियसरीरकायप्पओगपरिणए एवं जाव पंचिंदियओरालिय जाव परि०? गोयमा! एगिदियओरालियसरीरकायप्पओगपरिणए वा दियजाव परिणए वा जाव पंचिंदिय जाव परिणए वा, | [प्र०] हे भगवन् ! जो ते एक द्रव्य मृषामनःप्रयोगपरिणत होय तो शुं आरंभमृषामनःप्रयोगपरिणत होय ? [उ०] ए प्रमाणे | जेम सत्यमनःप्रयोगपरिणतने विषे का तेम मृषामनःप्रयोगपरिणत विषे जाणवू. ए प्रमाणे सत्यमृषामनःप्रयोगने विषे अने असत्या| मृषामनःप्रयोगने विषे पण जाणवू. [प्र०] हे भगवन् ! जो ते एक द्रव्य वाक्यप्रयोगपरिणत होय तो शुं सत्यवाक्यप्रयोगपरिणत होय ? [उ०] ए प्रमाणे जेम मनःप्रयोगपरिणतने विषे कयु, तेम वचनप्रयोगपरिणतने विषे पण जाणवू, यावत् असमारंभवचनप्र| योगपरिणत होय. [प्र०] हे भगवन् ! जो ते एक द्रव्य कायप्रयोगपरिणत होय तो शु१ औदारिकशरीरकायप्रयोगपरिणत होय, २ For Private and Personal Use Only
SR No.020108
Book TitleBhagvati Sutram Part 03
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1938
Total Pages212
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size12 MB
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