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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir व्याख्याप्रप्तिः * * से हेतुथी ए प्रमाणे कम छे. (प्र०) हे भगवन् ! बधा नरयिको सरखी उमरवाना अने समोपपत्र साये उत्पमक थएला के ? (उ०) हे गौतम! ए अर्थ समर्थ ननी. (प्र०) हे भगवन् ! ए प्रमाणे शा हेतुथी कहो छो? (उ०) हे गौतम ! नरयिको चार प्रकारना C१ शतके कया छे, ते आ प्रमाणे:-केटलाक सरखी उमरवाळा अने केटलाक साये उत्पन्न थयेला, तथा केटलाक विषम उमरवाळा अने उद्देशः २ साये उत्पन्न थयेला तथा विषम प्रमाणे आगळ पाछळ उत्पन थयेला तथा केटलाक विषम उमरवाळा अने साथे उत्पन्न पयेला. माटे हे गौतम ! ते हेतुथी पूर्व प्रमाणे कावे. (प्र०) हे भगवन् ! बघा अमरकुमारो सरखा आहारवाळा अने सरखा शरीरवाला छे? | इत्यादि पूर्वनी पेठे सपना प्रश्नो करवा. (उ०) हे गौतम ! असुरकुमारो संबंधे बधुं नैरपिकोनी पेठे कहे. विशेष ए के, असुरकुमा रोना कर्म, वर्ण अने लेश्याओ नरयिकोथी विपरीत कहेचा. अर्थात् जे असुरकुमारो पूर्वोपपनको तेओ महाकर्मतर छे अने अविशुद्ध | वर्ण तथा लेश्यावाला छे. अने जे अनुरकुमारो पश्चादुपपत्रक छे तेओ प्रशस्त छे. चाकी वधू एज प्रमाणे जाणवू. ए प्रमाणे यावत् स्तनितकुमारो सुधी जाणवं. पृषविकायिकोना आहार, कर्म, वर्ण अने लेश्या ए बधुं नरयिकोनी पेठे जाणबु. (प्र०) हे भगवन् ! पधा पृथिवीकायको सरखी वेदनावाला के ? (उ०) हे गौतम ! हा, बंधा पृथिवीकायिको सरखी वेदनामा छे. (३०) हे भगवन् ! ते ए प्रमाणे शा हेतुथी कहो छो! के, 'बधा पृथिवीकायिको समवेदनावाला के (उ०) हे गौतम ! बधा पृथिवीकायिको असं झीओ हे अने असंञीभूत वेदनाने अनिर्धारणपणे वेदे छे, माटे हे गौतम ! ते हेतुथी पूर्व प्रमाणे कंधु छे. (प्र०) हे भगवन् ! बधा का पृथिवीकायिको समान क्रियावाला के ? (उ०) हे गौतम! हा बघा पृथिवीकायिको समान क्रियावाला छे. (प्र०) हे भगवन् । से आ प्रमाणे शा हेतुथी कहो छो? (उ०) हे गौतम ! बधा प्रथिवीकायिको मायी अने मिथ्यादृष्टि से. माटे तेओने पांच क्रियाओ * For Private and Personal Use Only
SR No.020106
Book TitleBhagvati Sutram Part 01
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1937
Total Pages330
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size8 MB
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