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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra व्याख्या प्रज्ञप्तिः ॥ ३३ ॥ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जस्स अत्थि जहा ओहिओ दडओ तहा भाणियन्वा, नवरं मणुस्सा सरागा वीयरागा य न भाणियत्वा, गाहादुक्खाउए उदिने आहारे कम्मवन्नलेस्सा य । समवयणसमकिरिया समाउन चैव योद्धव्वा ॥ १६ ॥ ( सू० २२ ) अर्थ : - (प्र०) हे भगवन् ! बघा नैरयिको सरखा आहारवाळा, सरखा शरीरवाळा तथा सरखा उच्छवास अने निःश्वासवाळा छे?! (उ०) हे गौतम! ए अर्थ समर्थ-संगत नथी अर्थात् ए प्रमाणे नथी. (प्र०) हे भगवन्! ते ए प्रमाणे शा हेतुथी कहो छो के 'वा नैरयिको सरखा आहारवाळा, सरखा शरीरवाळा अने सरखा उच्छवास अने निःश्वासवाळा नथी ? (उ०) हे गौतम! नैरयिको बे प्रकारना कहा छे. ते आ प्रमाणे:-मोटा शरीरवाळा अने नाना शरीरवाळा, तेमां जे नैरयिको मोटा शरीरखाळा छे तेओ घणा पुढलोनो आहार करे छे, घणा पुद्गलोने परिणमावे छे. घणो उच्छवास अने निःश्वास ले छे; वारंवार आहार करे छे, वारंवार परिणमावे छे अने वारंवार उच्छवास तथा निःश्वास ले छे. तथा तेनां जे नाना शरीरवाळा छे तेओ थोडा पुद्गलोने परिणभावे छे, थोडो उच्छवास अने निःश्वास ले छे, कदाचित् आहार करे छे, कदाचित् परिणमावे छे, अने कदाच उच्छवास अने निःश्वास ले छे; माटे हे गौतम! | ते हेतुथी एम कहेवाथ छे के 'बधा नैरयिको सरखा आहारवाळा, सरखा शरीरवाळा अने यावत्-सरखा उच्छवास तथा निःश्वासवाळा नथी (प्र०) हे भगवन् ! वधा नैरयिको सरखा कर्मवाळा हे ? (उ०) हे गौतम! ए अर्थ समर्थ नथी. (प्र०) हे भगवन् ! ए प्रमाणे शा हेतुथी कहो छो? (उ०) हे गौतम! नैरयिको वे प्रकारना कला हे? ते आ प्रमाणे :- पहेला उत्पन्न थयेला अने पछी उत्पन्न थयेलां, तेमां जे नैरयिको पहेलां उत्पन्न थयेलां छे तेओ अल्प कर्मचाळा छे अने जे पछी उत्पन्न थयेला छे तेओ महाकर्मवाळा है. माटे हे गौतम ! ते हेतुथी एम कहेवाय छे के " नैरयिको बधा सरखा कर्मवाळा नथी " (प्र०) हे भगवन् ! बघा नैरयिको समान कर्म For Private and Personal Use Only १ शतके उद्देशः २ ॥ ३३ ॥
SR No.020106
Book TitleBhagvati Sutram Part 01
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1937
Total Pages330
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size8 MB
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