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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रज्ञप्तिः आवे हे. अने जो ते त्रण परमाणु पगला विष पण जाणवू. “पांच पांच परमाण के उद्देशः१. ११८॥ तथा अप के. माटे ते त्रण परमाणु पुद्गलो एक एकने परस्पर चोंटी जाप ने, बळी जो तेना बे भाग पण थइ शके छे अने त्रण भाग पण व्याख्या दि यह शके छे, जो ते त्रण परमाणु पुद्गलना वे भाग करवामां आवे ते एक तरफ दोढ परमाणु आवे छे अने बीजी तरफ पण दोढ | परमाणु आवे छे. अने जो ते त्रण परमाणु पुद्गलना त्रण भाग करवामां आवे तो प्रणे परमाणु पुद्गलो एक एक एम जुदाजुदा ॥११॥ थइ जाय . ए प्रमाणे यावन-चार परमाणु पुद्गलो विषेपण जाणवू. "पांच पांच परमाणु पुद्गलो एकएकने परस्पर चोंटी जायछे अने दुःखपणे कर्मपणे-थाय छे ते दुःख कर्म शाश्वत छे अने हमेशा सारी रीते उपचय पामे छे तथा अपचय पामे छे." "बोलवाना समयनी पूर्वे जे भाषाना पुद्गलो छ जे भाषा छे बोलवाना समयनी जे भाषा छे ते अभाषा के अने बोलवाना समय पछीनी-जे (भाषा) बोलाएली छे ते भाषा छे. "जे ते पूर्वनी भाषा भाषा छे, बोलती भाषा अभाषा के अने बोलबाना समय पछीनी जे (भाषा) बोलाएली छे ते भाषा छे, तो शुं ते बोलता पुरुषोनी भाषा के ? [उ०] अणबोलता पुरुषोनी भाषा छे. पण ते बोलता पुरुषनी तो भाषा नथीज" जे ते पूर्वनी क्रिया के ते दुःखहेतु छे. कराती क्रिया दुःख हेतु नथी. अने करवाना समय पछीनी जे क्रिया छे ते | दुःख हेतु ळे तो शुं ते करणथी दुःख हेतु छे के अकरणथी दुःख हेतु छ ? [उ०] ते अकरणथी दुःख हेतु छे पण करणथी दुःख | हेतु नथीज. ते ए प्रमाणे वक्तव्य के. "अकृत्य दुःख छ, अस्पृश्य दुःख डे-अने अक्रियमाणकृत दुःख के नेने नहीं करीने, नहीं करीने प्राणो, भूतो, जीवो अने सत्वो वेदनाने वेदे छे ते ए प्रमाणे." [म.] हे भगवन ! पते केवी रीने ए प्रमाणे होय? [उ०] हे गौतम ! जे ते अन्यतीथिको कहे छ के, वेदनाने वेदे, एम कहेवाय. तेओर जे ए प्रमाणे का छे. ते खोटुं कां छे. वळी हे गौतम ! हुं एम कहुं छं के, चालतुं होय ते चाल्धु कहेवाय अने यावत्-निर्जरातुं होय ते निर्जरायु कहेवाय. "बे परमाणु For Private and Personal Use Only
SR No.020106
Book TitleBhagvati Sutram Part 01
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1937
Total Pages330
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size8 MB
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