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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandit व्याख्या प्रज्ञप्तिः ॥११७।। उद्देश:१ पोग्गले, एगयओ प० पोग्गले भवंति, तिणि परमा० एगओ साह०, कम्हा तिन्नि परमाणुपोग्गले पग। 14१शत सा० ?, तिण्हं परमाणुपोग्गलाणं अत्थि सिणेहकाए, तम्हा तिणि परमाणुपोग्गला एगयओ साहणंति, ते । भिजमाणा दुहावि तिहावि कज्जति, दुहा कन्जमाणा एगो परमाणुपोग्गले एगयओ दुपदेसिए स्वंधे भवति, तिहा कजमाणा तिणि परमाणुपोग्गला भवंति, एवं जाव चत्तारिपंचपरमाणुपो० एगओ साहणित्ता २ खंध ॥११७. त्ता कजति, खंधेवि य णं से असासए, सया समियं उवचिजह य अवचिजइय। पुचि भासा अभासा भासिजमाणी भासा २ भासासमयवीतिकतं च णं भासिया भासा अभासा, जा सा पुबि भासा अभासा भामिजमाणी भासा २ भासासमयबीतिकंतं च णं भासिया भासा अभासा, सा किं भासओ भासा अभासओ भासा?, भासओ णं भासा, नो स्वास्लु सा अभासओ भासा । पुवि किरिया अदुक्खा जहा भासा तहा | भाणियव्वा किरियावि जाव करणओ णं सा दुक्खा, नो खलु सा अकरणओ दुवा, सेवं वत्तव्वं सिया-किच्चं | फुस दुक्ख कज्जमाणकडं कटु २ पाणभूयजीवसत्ता वेदणं वेदेंतीतिवत्तव्वं सिया ॥ (सू०८१)॥ | हे भगवन् ! अन्यतीर्थिको आ प्रमाणे कहे के यावत्-आ प्रमाणे प्ररूपे छे के "चालतुं होय ते चान्यं न कहेवाय अने निलगतुं ते निर्जरायु न कहेवाय." वे परमाणु पुद्गलो एक एकन चोंटता नथी. वे परमाणु पुद्गलो एक एकने शा माटे चोंटता नवी? वे परमाणु पुद्गलोमा चीकाश नथी माटे ते वे परमाणु पुद्गलो एक एकने चोंटता नथी.” त्रण परमाणु पुद्गलो एक एकने परस्पर चोटी-जाय छे. त्रण परमाणु पुद्गलों एक एकने परस्पर चोंटे हे तेनुं शुं कारण.१ त्रण परमाणु पुदूगलोमां चीकाश होय S AHARX For Private and Personal Use Only
SR No.020106
Book TitleBhagvati Sutram Part 01
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1937
Total Pages330
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size8 MB
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