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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अवेसन्नता जनक ७३२ अवसन्नता जनक से पैदा होती है। यदि कारण बलवान हो तो स्पर्श शक्ति सदा के लिए विदा हो जाती है, अन्यथा वह विकृत वा कम हो जाती है। - अनस्थेसिया (Anaesthesia), नार्कोटिज़्म ( Narcotism), नम्बनेस (Numb. ness)-इं० । खद्र, खद्दर, फ्रादुल इह. सास, कलालुल हिस-अ० । ज़वाल हिस-फ़ा। हिस का जाते रहना-उ०। नाट-नाकोटिज्म अवसन्नता की उस कृत्रिम अवस्था को कहते हैं जो किसी अवसन्नताजनक औषध के प्रयोग से कृत्रिम रूप से उपस्थित हो जाती है। अवसन्नता जनक avasannatajanak-हि. . :सुन्न करनेवाली औषध, वह औषध जो अपने शैत्य, रूक्षता और स्तम्भक गुण के कारण शारी..रिक धातुओं तथा : श्रार्द्रता को सांद्रीभूत कर दे और श्रावयविक स्रोतो को अवरुद्ध कर प्राण वायु के श्रावागमनको रोके और इस प्रकार उन अंगको जड़ीभूत करदे । यथा-अहिफेन, कोकोन प्रभृति । संज्ञाहर, स्पर्श हारक, स्पर्शाज्ञताजनक, स्पर्शन ।। औषध शरीर के जिस अंग पर लगाई जाती हैं, वह उस स्थल की बोध शनि को नष्ट कर देती है अर्थात् उक्त भाग को अवलन कर देती है। लोकल अनस्थेटिक स (Local anesthe. tics )-ई० । मुक़ामी मुखहिर, मुक्कामी मुक्तिकदुल् इह सास-अ० । मुक़ामी हिस्स को ज़ायल करने वाली या सुन्न करने वाली दवा -उ०। वे निम्न हैं डॉक्टरी-कार्बोलिक एसिड, युकीन, कोकीन का स्वस्थ अन्तःक्षेप, ईथर ( स्प्रे ), वैराट्रीन, ईथल क्लोराइड, मीथल क्लोराइड (स्प्रे द्वारा,) वाह्य शीत (बर्फ), श्रार्थोफाम अाफार्म न्य. आय. डाफ़ॉर्म, ईथर मीथीलेटस, ईथर मैथीं लिक्स, ईथल ब्रोमाइडम्, ऐरोमैटिक प्राइज़ ( सुगन्धित तैल), ऐकोईन, एलीपीन, अनस्थेसीन (अधस. श्रीन ), अनस्थिल, थाइमोल (सत अजवाइन), टोपाकोकीन, सबक्युटीन, स्टोवेइन, फेनाल - कैम्फर (फेनोल तथा कपूर), क्रोरेटोन, क्रोराइंक . . कोकीन हाइड्रो क्रोराइडम्, कोकीनी फेमीलास, कैलीन, ग्वाएको(किल, मेथीलाज और मेन्योल (सत पुदीना ) एवं नर्वसाईडीन, नवेंनीन, नोवोकीन, हालोकोन, हाइड्रोकोराइड, युकीन 'हाइड्रोक्लोराइडम्, युग्युफार्म, युहिमबीन, स्टेनो-. कानि । • आयुर्वेदीय तथा यूनानी-.... अहिफेन, तम्बाकू, शूकरान ( कोनायम् ), धत्त र फल, अजवाइन खुरासानी, यजुस्सनम् (बिलाडोना), बीन लुनाह, उक हवान (बाबूना भेद ), पार्वतीय अजवाइन, भंग, केशर, हमामा, काकनज, बीन जर्ब, कुचिला, इस्वंद, श्वेत कटुकी, काहू, तुलसी, गुलेलाला, पित्तपापड़ा, सोना, कुन्दुर, लवंग, शाहसत रम, शक्रायक, बच्छनाग, विटखदिर, धच, कोका, हिंगु, मेषगी (गुदमार), काली कटुकी, जलबोझी, निम्ब, जटामांसी, कटुकी और अशोक । (२) सार्वागिक संज्ञाहरजेनरल अनस्थेटिक्स (General anes ... अनास्थेटिक (Anesthetic), नार्कोटिक (Narcotic.)-ई। मुखदिर, मुफनिकदुल इह सास, खदिर-अ०. .. - नोट-डॉक्टरी की परिभाषा में अनस्थेटिक्स उन औषधों को कहते हैं जो मस्तिष्क एवं सौषुम्न केन्द्रों पर प्रभाव कर अचेतता एवं निःसंज्ञता उत्पन्न करती हैं। - परन्तु यह शब्द अब साधारणतः सुगन्धित व अस्थिर पदार्थों यथा नोरोफॉर्भ, ईथर, मीथिलीन, नाइट्स ाक्साइड गैस ( हास्य जनक वायव्य.) प्रभति के लिए ही प्रत्युक्त होता है। इसमें ऐलकोहल (मद्यसार ) तथा अहिफेन जैसी मादक ( Narcotic) औषधे सम्मिलित नहीं, यद्यपि वे भी स्पर्शाज्ञताजनक हैं। इनके दो भेद हैं(1) स्थानिक संज्ञाहर- इस.प्रकार की For Private and Personal Use Only
SR No.020089
Book TitleAyurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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