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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अर्थेनाइट अर्दित सिद्ध हुआ कि बिना बादल वृष्टि नहीं होती। नोट-अर्दहालिय्यडू फ़ारसी भाषा का शब्द न्यायशास्त्र में इसे पृथक प्रमाण न मानकर अनु- है। जो भाई पाटा और हाल तैल का यौगिक मान के अंतर्गत माना है। है। पर उन संयुक्त शब्द का उपयोग उस हरीरे अर्थेनाइट arthenite-फ्रां० बख्नुरमरियम-इं. के लिए होता है जो प्राटा और घी के संयोग बाजा | Sow-bread (Cyclamen द्वारा निर्मित होता है। कि इस रसौली के Persicum, iller.) फा० इ० २ माहे का वाम उक्त हरीरे के समान होता है। भा० । इसलिए इसे इस नाम से अभिहित किया अर्थ्यम् arthyam-सं० क्लो० शिलाजतु । (Bi- गया है। tumen.) मे० यद्विकं । अर ardara-अ. हाथी, हस्ति । ( An अर्थक्नीमम् Arthroone अथ कनामम् Arthrocneinum-ले० उश्नान, elephant.) सर्जि | Sola Plants (Caroxylon.) श्रल ardal ) -कना० को०, हरिताल । फा. इ०३ भा०। अली ardali S (Orpiment.) अर्थोकनीमम् इण्डिकम् arthroenemum अर्दावा ardava-हिं० पु मोटा मोटा, दलिया, सूजी । Indicum, Moq:-ले० सर्जि । फा. ई. अर्दित ardita-हिं० वि० । पीड़ित । ३भा०। अर्पितम् ardditam-सं० त्रि. दलित । अई aarda-ऋ० गदहा, गर्दभ ( An ass.) यन्त्रणायुक्र । अईह ardah फ़ा. तिलकचरी। संक्ली०, हिं० संशाप'. एक रोग जिसमें वायु अईक ardaka-फा. वत्तरन । ( A .Duck.) के प्रकोप से मुंह और गर्दन टेढ़ी हो जाती है, (२) भालूबोखारा । ( Prunum.) सिर हिलता है नेत्र प्रादि विकृत हो जाते हैं, अर्दज arda ja-फा० हाऊबेर, अर्स, अरर, अभल, बोला नहीं जाता और गर्दन तथा दाढ़ी में दर्द हपुषा । (Juniperus chinensis) होता है। पक्षाघात विशेष । लकवा । अईन ardana-हिं० संज्ञा पु० [सं०] (१) - फेशल पैरालिसिस ( Facial Paraly पीपन, दलन, हिंसा । (२) जाना, गमन । sis ), पैरालिसिस ऑफ दी पोर्टियो व्योरा अर्दना ardana-हिं० कि० स० [सं० मर्दन (Paralysis of the portio dura, पीड़न ] पीड़ित करना। aan dufafan Bell's paralysis-.! अर्द निः arda nih--सं०५० अग्निरोग । म० लवह-अ०। कजी दहन-फा० । मुंह का टी० । टेदा हो जाना-उ० । अदम ardam-1० सूर्यमुखी । (Helianthus निदान संप्राप्ति तथा लक्षण Annuses. ) गर्मिणी सूतिका बालवृद्ध क्षाणेवसक्कये। अर्दमा ardamā--(१) कनौचा (२) गाव जुबान । ( Caccina glauca, Savi. ) उच्चाहरताऽत्यर्थ खादतः कठिनानि पा॥ अर्द हालिय्यह-arda.haliyyah हस्तोजृम्भतोवापि भाराद्विषमशायिनः । सल्हे मुखातियह, salaahe-mukhatiynh) ( श्वसनात्-सु०) अ० (.) गादा हरीरा जो आटे को मक्खन में शिरोनासौष्ठ चिबुक ललाटेक्षण सन्धिमः ॥ गॅथ कर पुनः घी में पकाया जाता है । (२) प्रर्दयत्यनिला वक्त मर्दित जनयत्यतः। एक प्रकार की श्याभायुक्त रसौली है जिसके माहे वक्रीभवति वक्ता श्रीवाचाप्यपवर्तते ॥ की चाशनी गादे हरीरे के सरश होती है। देखो- शिरश्चलति वाक्सङ्गो नेत्रादीनांच वैकृतम् । सल्हे मुखातियह, ( Myxoma). प्रीवाचिधुक दन्तानां तस्मिन् पाश्र्धेच वेदना॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020089
Book TitleAyurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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