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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रगोटी अगोंटा मात्रा--१४ से ६० ग्रेन (१ से ४ ग्राम)। - प्रायः चूर्ण रूप में प्रयुक्त होता है। ___ऑफिशल योग ( Official preparations. ) (१) एक्सट्रैक्टम अर्गोटी ( Extractum Ergotia. )-ले०। एक्सट्रैक्ट ऑन अर्गट ( Extract of Ergot.) अर्गटीन, अर्गट रसक्रिया, अर्गट सत्व वा सार -हिं० । खलासहे शैलम्, शैल्मीन-अ० । रुब्ब गन्दुम दीवानह -फा० । नोट--अगोंटीन ( Ergotin ) ब्रिटिश फार्माकोपिया (B. P.) में सॉफ्ट एक्सट्रैक्ट ऑफ अर्गट का ऑफिशल पर्याय था। पर इस नाम से भ्रम उत्पन्न होने की आशंका है, अस्तु इस नाम का परित्याग कर देना ही उत्तम है। निर्माणा-विधि-अर्गट का ४० नं० का चण २० पाउंस, ऐलकोहाल (६.0/) और परिसुत वारि अावश्यकतानुसार, डायल्युटेड हाइड्रो. कोरिक एसिड (जल मिश्रित उज्जहरिकाम्ल ) ७॥ क्लइड डाम और सोडियम काबोंनेट १७५ ग्रेन । अर्गट के चूर्ण को १० फ्लइड पाउंस ऐलकोहाल से क्लेदित कर पौलेटर (क्षरण यन्त्र ) में स्थापित करें और पर्याप्त ऐलकोहल डालकर इतना क्षरण करें कि वह एक्ज़ास्ट होजाए (हातम होजाए) | पुनः प्राप्त द्रव को जलकुण्ड ( वाटर बाथ ) पर इतना उड़ाएँ वा शुष्क करें कि उसका द्रव्यमान ५ फ्ल,इड श्राउंस शेष रह जाए । फिर उसमें ५ फ्लइड श्राउंस परिसुत वारि मिलाएँ और शीतल होने पर पोतन कर उसमें जलमिश्रित उजहरिकाम्ल सम्मिलित करदें । २४ घंडे पश्चात् पुनः उक द्रव का पोतन करें और जो मल अवशेष रह जाए उसको जल से इतना धोएँ कि उसकी अम्लता सर्वथा दूर हो जाए । फिर अवशिष्टांश को धोने से शेष रहे हुए द्रव की पूर्व प्राप्त द्रव में मिलाकर और सोडियम कार्बोनेट को उसमें विलीन करके उसे जल कुण्ड ( वाटर बाथ) पर वाष्पीभूत कर मृदु । रसक्रिया रूप में शुष्क करले। मात्रा-२ से ८ ग्रेन (१३ से ५२ ग्राम वा १२ से ५० शतांश ग्राम)। (२) एक्स्ट्रैक्टम अर्गटी लिक्विडम् Extractum Ergotze Liquidum --ले। लिक्विड एक्स्ट्रक्ट श्रॉफ अर्गट Liquid Extract of Ergot-- । अर्गट तरल सत्व, अर्गट द्रव रसक्रिया-हिं०। खुलासहे शैलम सय्याल--अ० । रुब्बे गन्दुम दीवानह. सय्याल-फा० । निर्माण-विधि-कुट्टित अर्गट २० पाउंस, परिनु त वारि ७॥ पाइंट, ऐलकोहल (६०%) ७॥ लइड ग्राउंस । अर्गट को ५ पाइंट परिस्रुत वारि में १२ घंटे तक भिगोकर निःस्रावित करले और अवशेष को अवशिष्ट परिस्रुत वारि में उतने काल तक भिगोकर पोतन करें। पुन: प्रत्येक प्राप्त द्रव को परस्पर योजित कर इतने उत्ताप पर वाप्पीभूत करें जिसमें तरल का द्रव्यमान ४ फ्ल.इड आउंस शेष रह जाए फिर उसमें सुरा सम्मिलितकर १ घंटा पश्चात् पोतन करलें । प्रस्तुत रसक्रिया का परिमाण पूरा २० क्ल.इड आउंस होना चाहिए। मात्रा-१०से ३० मिनिम ( .६ से १८ घन शतांश मीटर वा ६ से १० डेसिमिलिग्राम) जल में। (३) इन्फ्युजम अगटी Infusum Ergote--ले० । इन्फ्युजन श्रोत अर्गट Infusion of Ergot-ई । अर्गट फांट --हिं0 । ख्रिसाँदहे शैलम--अ० ! खिसाँदहे गन्दुम दीवानह --फा० । ___ निर्माण-विधि-सद्यः कुट्टित अर्गट १ भाग, खौलता हुशा परिस्रुत जल २० भाग, १ बंद पात्र में १५ मिनट तक अर्गट को जल में प्रवेदित कर पोतन करले। मात्रा-१ से २ .इड श्राउंस (२८४ से ५६'८ घन शतांश मीटर वा ३० से ६० मिलिग्राम). इलेक्शियों अगों टी हाईपोडर्मिका Injectio ergotæ hypodermica -ले०। Hypodermic injection of For Private and Personal Use Only
SR No.020089
Book TitleAyurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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