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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ৗকা ५६ अरारोबा ppositorium Chrysarobini)-ले०।: पीताभायुक्र धूसरवर्ण के चिह्न पड़ जाते हैं। क्राईसारोबीन वर्तिका- शियाफ़ क्राईसारो- वस्त्र पर भी इससे उसी प्रकार के चिह्न पड़ जाते बीन । निर्माण-विधि-क्राईमारोगीन 14 ग्रेन अन्तः प्रभाव-अति न्यून मात्रा (प्रेन) श्रायोडोफॉर्म ग्रेन, बिलाडोना एक्सप्टैक्ट 1 में देने से भी यह प्रामाशय वा श्रान्त्र को अत्यन्त क्षुभित करता है। जिससे नुधा कम हो ग्रेन, ग्लीसरीन अावश्यकतानुसार जिससे कि जाती है, वमन पाते हैं और पेट में ऐंठन होकर उचित वर्ति प्रस्तुत हो जाए और काकाउबटर मल पाते हैं अर्थात् प्रवाहिका के से लक्षण ३० ग्रेन पर्यन्त । उपस्थित होते हैं । अस्तु उक्ल, औषध सशक्त उपयोग-इस वर्ति के प्रयोग से अर्श में बहुत श्रामाशय का श्रान्त्र तोमक ( Powerful लाभ होता है । (एक्सट्रा फार्माकोपिया) gastro intestinal irritant ) है । (१) एन्थारोबीन ( Anthrarobin) इसका प्रलेप रूप से क्राईसारोबीन के स्थान में विसर्जने-यह किसी भाँति त्वचा द्वारा, प्रयोग करते हैं। किन्तु अधिकतर वृक्क द्वारा शरीर से विसर्जित (६) लेनीरोबीन (Lenirobin )-यह होता है और इससे मूत्र का रंग पीत व नीलD भी क्राइसारोबीन का एक यौगिक है जिसको हो जाता है । पुरातन नार फ्रास या ज्वलनदार विस्फोटक क्राइसारोबोन के उपयोग ( Chronic Eczema ) और पुरातन अर्थात् थेराप्युटिक्स चम्बल (विचर्चिका ) पर लगाते हैं। वहिः उपयोग-पराध.यी कीटन रूप से (.) यूरोबीन (Eurobin)-यह एक इसको दद्रु ( Ringworm) तथा कई अन्य धूसर वर्ण का चूर्ण है निसको क्राइसारोबीन के पुरातन रून स्वरोगों जैसे चम्बल अर्थात् स्थान में वर्तते हैं। विचर्चिका ( Psoriasis ), ज्वलनशील उपयोग-इसका २ या ३ प्रतिशत का घोल . फुन्सिया ( Eczema ) यौवनपीड़िकाओं चम्बल (Psoriasis ) और दद्रु ( Ring- (Acne ) पर लगाते हैं। यद्यपि यह बात worm) के लिए लाभदायक है। इससे न तो प्रमाणित करना कि जीवाणु ही उन रोगों के त्वचा पर ख़राश (क्षोभ ) होती है और न कपड़े उत्पादक कारण हैं, अभी शेष रह जाता है; तथापि पर चिह्न पड़ते हैं। विचचिका ( Psoriasis) रोग में इसका काईसारोबीन की फार्माकालाजी मुख्य उपयोग होता है । अस्तु १ बाउंस वैज़े. अर्थात् औषधीय प्रभाव लीन को तप्त कर से 1 वा १ ड्राम क्राईबहिः प्रभाव-त्वचा पर क्राईसारोबीन का | सारोबीन मिलाकर ऐसा प्रलेप दिन में दो समय सशक क्षोभक (Powerful irritant) लगाने से उन रोग शीघ्र दूर हो जाता है। और प्रभाव होता है । अस्तु, इसके प्रयोग से स्वचा पर | ... इसी मति उपयोग करने से यह स्वचा द्वारा ददोड़े निकल आते हैं, मुख्यतः स्वस्थ त्वचा पर; शोषित होकर विचचिका ( Psoriasis ) क्योंकि विकारी त्वचा पर इससे उतना क्षोभ नहीं के ऐसे धब्बों को भी दूर कर देता है, कि उत्पन होता । वानस्पत्य नीवाणु विषयक जिनमें इसका बहिरप्रयोग नहीं किया जाता । 'स्वरोग को उन औषध नष्ट करती है। अस्तु, यह इससे प्रायः आस पास की स्वस्थ त्वचा पर सप्तक पराश्रयी कीटप्न भी है। इसका स्थानिक वा व्यथापूर्ण विसीय प्रदाह होता वा बैंगनी धब्बे पड़ सार्वाङ्गिक दोनों प्रभाव होता है। यह स्वचा जाते हैं, जिससे किसी किसी रोग में इसका उपद्वारा सोषित होजाता है और इससे त्वचा पर | योग नहीं किया जा सकता। विस्तीर्ण अनुभव For Private and Personal Use Only
SR No.020089
Book TitleAyurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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