SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 615
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अरण्यकासनी अरण्यकासनी वर्षीय ) ६ से १२ या १६ इंच लम्बी, करीब करीब बेलनाकार, 1 से १ इंच चौड़ी ( व्यास), उर्ध्व भाग अनेक सूक्ष्म कुछ कुछ धने शिरकों से पाच्छादित रहता है तथा निम्न भाग में कम शाखाएँ होती है | ताज़ी दशा में यह हलके पीतधूसर वर्णकी एवं गूदादार और शुष्क दशामें गंभीर धूसर या श्याम धूसर वर्ण की, जिन पर लम्बाई की रुत अधिक झुर्रियाँ पड़ी रहती हैं। भीतरसे यह श्वेत वर्ण की जिसका मध्य भाग ज़रदीमायल (पीताभ) होता है। यह गंधरहित एवं कटु स्वादयुक्त होती है। यह स्रोतपूर्ण तथा प्रार्द्र ऋतु में अधिक लचीली होती है। परन्तु शुष्क होने पर सूचम चड़चड़ाहट के साथ टूट जाती है। टुटने पर बीच की लकड़ी पीतवण की, स्रोतपूर्ण जिसके चारों ओर गंभीरश्याम वर्ण की कैम्बियम रेखा तथा धनी श्वेत स्वच होती है, जिसके मध्य धूसरित वण की दुग्ध की नालियों के वृत्त होते हैं। ये पतली दीवाल की ( Parench. yma.) से भिन्न किए गए होते हैं। शीत काल से पश्चात् एवं बसन्त ऋतु के प्रारम्भ में इसकी जड़ मधुर स्वादयुक्त रहती है। बसन्त और प्रोम के बीच दुग्ध-रस गाढ़ा हो जाता है तथा कटु रस बढ़ जाता है। इस कारण इसकी जड़ को पतझड़ ( Autumn) के समय में एकत्रित करना चाहिए । बसन्त ऋतुकी • जड़ में तिक मधुरसत्व निकलता है। __समानता-अकरकरा की जड़ ( Pellitory root) इसके समान होती है। किन्तु चबाने पर उसका स्वाद चरपरा होता है। से७ प्रतिशत पाए जाते हैं। प्रभाव-मूत्रल, बल्य, निर्बल पित्तनिस्सारक, और कोष्ठ मृदुकारी । औषध निर्माण-प्रॉफिशल योग (Official preparations ; (१) अरण्य कासनी सत्व - एक्सट्रक्टम टैरेक्सेसाई ( Extractum Talaxaci) -ले०। एक्सट्रैक्ट ऑफ़ टैरेक्जे कम ( Extract of Taaxacum )-इं. खुलासहे कासनी बरीं, उसारहे तर्खश्क न । निर्माण-क्रम-टैरेक्ज़ोकम की ताजा जड़ को कुचलकर दबाने से जो रस प्राप्त हो, उसे स्थूल भाग के अन्तः क्षेपित हो जाने पर निथार लें। तदनन्तर १० मिनट तक १ से २१२० फारनहाइट के उत्ताप पर रख कर छान कर द्रव को इतने ताप पर उड़ाएँ जिसमें वह गाढ़ा होजाए। मात्रा-१ से १५ प्रेन (३ से १० डेकिग्राम)। (२) अरण्यकासनी तरल-रुत्वएक्सट्रक्टम् टैरेक्सेसाई लिक्विडम ( Extractum Taraxaci Liquidum)-ले०। लिक्विड एक्सट्रैक्ट ऑफ़ टैरेकोकम ( Liquid Extract of Taraxacum )-01 ख लासहे कासनी बर्श सय्याल, उसारहे तनश्कून सय्याल-१०, फ़ा०। निर्माण-क्रम-टेरेक्ज़ेकम् की शुष्क जड़ का २० नं. का चूर्ण २० श्राउंस मद्यसार (६००/) २ पाइंट, परिस्रुत वारि आवश्यकतानुसार । टैरेक्ज़ेकम् को ४८ घंटा पर्यन्त मद्यसार में भिगोएँ । पुनः इसमें से १० लाख पाउंस द्रव निचोड़ कर पृथक् करले । अवशिष्ट स्थूल भाग को २ पाइंट परिसुत जल में ४८ घंटा तक भिगोएँ और दबाने से जो तरल प्राप्त हो उसे छान कर अग्नि पर यहाँ तक रखें, कि उसका द्रव्यमान १० इड माउंस बच रहें। पुनः प्रति तरल द्वय को परस्पर मिला लें और पावश्यकतानुसार इतना परिसुत जल और योजित करें कि तरल सत्व का द्रव्यमान पूर्व २० लहर पाउंस होजाए। रासायनिक संगठन-दुग्ध रस में एक कटु विकृताकार (अस्फटिकीय ) सत्व-(१) टैरेक्सेसीन ( Taraxacin) अर्थात् अरण्यकासनीन वा तंत्रस्क्रूनीन, (२) एक स्फटिकवत् ( कटु ) सत्व टैरेक्सेसीरीन, ( Taraxacerin ) और (३) ऐस्पैरेगीन (खिरमी सत्व, अस्मार्गीन), पोटाशियम् | कैल्शियम के लवण, रालदार और सरेशदार पदार्थ होते हैं। इसकी जड़ में प्राइन्युलीन २५ प्रतिशत, पेक्टीन, शर्करा, लीब्युलीन, भस्म ५ . For Private and Personal Use Only
SR No.020089
Book TitleAyurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size29 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy