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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir "अरण्यकासनी ५७२ अरण्यकासनी -बं० । राण कापासी-मह०। पत्ति-ते. । ( The wild cotton ) गण-तणनाशक, शस्त्र-क्षतघ्न और रूक्ष है। रा०नि० व०११ । (२) श्रोलट कम्बल, पीवरी । (A broma Augusta.) अरण्यकासनी aranya kāsani-हिं० स्त्री० दुधल, अरन, कानफूल, रदम,शमुकेइ, दुध बथज -पं०, हिं० । पथरी-द० । बुथुर-सिंध० । टैरेक्ज़ेकम् अॉफ़िसिनेली ( Taraxacum Officinale Wigg.),टै. डेगडेलिश्रोनिस (T. Dendelionis.)-ले० । डेण्डेलिऑन ( Dandelion.)-इं०। पिस्सेन-लिट ( Pissenlit.)-फ्रां० । उद्रचेकन-को० । मिश्र वा तुलसी वर्ग (.V. O. Composit ae. ) - उत्पत्ति स्थान-सर्वत्र हिमालय ( शीतोष्ण --ई. मे० मे.) तथा नीलगिरी पर्वतों; उत्तरी पश्चिमी सूबों में यह बोई जाती है; तिव्यत में | साधारण रूप से होती है, युरुप ( इङ्गलैण्ड) तथा उत्तरी अमरीका । नोट- डॉ. डाइमॉक महोदय के कथनानुसार सहारनपूर के सरकारी वनस्पत्योद्यान में प्रतिवर्ष इसकी कृषि की जाती है। नाम-विवरण-पुजश्कीनामा के सम्पादक नाज़िमुलइतिब्बा महोदय के कथनानुसार टैरेक्सेकम युनानी भाषा का शब्द है, जो तारास्सुवसे जिसका साङ्केतिक अर्थ तलरियन (मृदुता जनक) है, व्युत्पन्न शब्द है; परन्तु डा०डाइमॉक महोदय के कथनानुसार इस शब्दकी वास्तविकता अनिश्चित है, कदाचित् यह तर्खश्कू न (फारसी शब्द)का अपभ्रंश है। उक्न वनस्पति के गंभीर दनदाने क्योंकि दुग्धदन्त के समान होते हैं, इस कारण प्रांग्ल भाषा में इसे डेण्डिलॉन ( दुग्धदन्त ) नाम से अभिहित करते हैं। इतिहास-यद्यपि प्राचीन युनानी व रूमी चिकित्सकों ने कई भाँति की कासनी का वर्णन किया है; तथापि ऐसा प्रतीत होता है कि उन्होंने | इस भाँति की कासनी का वर्णन नहीं किया। इब्नसीमा ने तर्खर कुन नाम से इसका वर्णन किया है तथा अन्य मुसलमान चिकित्सकों ने भी इसका वर्णन किया है । युरुप में सोलहवीं शताहिद मसीही में फूशियस Fuchsius (१५४२) ने हेडिप्नाइस ( Hedypnois) नाम से, ट्रैगस Tragus (सन् १५५२ई० में ) ने हीरे. शियम मेजस ( Hieracium ma jus), मैथिोलस Matthiolus (१९८३) ने डेन्स. लियोनिस (Densleonis ) और जीनिस Linneus (१७६२ ) ने लिॉण्टोडॉन टैरे. क्सेकम् (Leonto don Taraxacum) इत्यादि नामों से (जिसको वह इब्नसीना के ताश्कन का पर्याय समझते थे) इसका वर्णन किया है । सतरहवीं शताब्दि के अन्त में यूप में अरण्यकासनी ( Dandelion ) का उपयोग बहुतायत के साथ होने लगा। भारतीय ( श्रायुर्वेदिक ) चिकित्सकों को उन ओषधि ज्ञात न थी। .. नोट-महज़नुल अद्वियह, में हिन्दबाउब्बरी तथा मुहीताज़म में कासनीदश्ती नाम से उन श्रोषधि का वर्णन किया गया है। प्रयोगांश-युनानी वा भारतीय चिकित्सक तो इसकी जड़, पत्र एवनव्य पौधा सभी औषध कार्य में लाते हैं; किंतु डॉक्टरी में केवल इसकी जड़ औषध तुल्य व्यवहार में आती है और यह ब्रि० फा० में आतिशल है। अरण्यकासनी मूल . पर्याय-टैरेक्सेसाई रैडिक्स (Taraxaci Radix.)-ले०। टैरेक्जें कम् रूट ( Taraxacum Root.), डैण्डेलियन रूट (Dandelion Root.), ह्वाइट वाइड इण्डाइव (White wild endive.) ई० । संघ दन्तीमूल-सं० । जंगली कासनी की जड़ - हिं०, उ० । अर लुल् हिन्द बाउब्बरी-अ० । बीन. तर्जश्न, बीन कासनी दश्ती-फ़ा० । ऑफिशल ( Officiul. ) वानस्पतिक-विवरण- ताजी जड़ (बहु. For Private and Personal Use Only
SR No.020089
Book TitleAyurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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