SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 582
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अम्लराज ५४० अम्लवृक्ष, कम् अम्बष्ठा (अ)। चांगेरी । आमरूल शाक-बं० । (११) दाडिम और (१२) करमई । र० सा० चुका-म० । (Oxalis Corniculata. ) सं०। गुण-दीपन, रुचिकारी, कफवात नाशक, पित्त अम्लवल्ली,-ल्लिका amla-valli,llika-सं० कारक और खट्टी है तथा ग्रहणी, अर्श, कुष्ठ और स्त्री० त्रिपर्णीकन्द । See--Triparni-kaअतिसार का नाश करने वाली है । भा० पू० nda. १भा०। अस्लवाटकः Amla-vatakah-सं०० श्राम्रामात्रा-२-३ मा० । देखो-चाङ्गेरी।। तक, अम्बाड़ा | प्रांवाटा-मह०। (Spondias (२) चुक, पालङ्क विशेष। चुका पालङ्-बं०। __mangiferal) ० निघ०। (Rumex monadelpha ) To fol Ferlarat anla-vátá ) | अम्लवाटिका amla-Vatika-सं. स्त्री० - (३) अगलानी--हिं० । खुर्की, कुल्फा-०। अम्लवाटी amla-vati ) ( Portulaca oleracea, Linn.) अम्लरस युक नागवल्ली भेद, खट्ठा रस युक्र पान । .. देखो--लोणी। अंबोडे पर्ण-मह० । अम्ल रस विशिष्ट प्रान विशेष अम्लगज amla-rāja-हिं० पु. ( Aqual -बं । ग० नि. व. ११ । गुण-अम्ल, : rigia.) लवणाम्ल और नत्रिकाम्ल का मिश्रण, तिक, कटुरस युक्र, रूक्ष व उषण वीर्य, मुख पाक - जो अत्यन्त बलवान् धातुद्रावक है, अम्लराज ___ करने वाली, विदाहिनी, रक, पित्त कुपित करने . कहलाता है। वाली, विष्टम्भ करने वाली, और वायु नाशिनीअम्लवती amla-vati-सं० स्त्रो० (१) चाङ्गेरो! है। रा०। देखो-नागवल्ली । आमरुल-बं० । (Oxalis corniculata) अम्लवातकः-वाड़कः amla-vātakah,--va रा. नि० ५० ५। ( २ ) तुद्राम्लिका । ___dakah-सं० पु. श्रानातक, अम्बाड़ा । खुदेणुनी-बं०। (Spondias mangifera ) अम्लवर्गः amla-vargah-सं० पु. अम्लवर्ग | अम्लवाष्पः amla-vashpah-सं० पु. की ओषधियाँ निम्न हैं, यथा (1) चांगेरी, चांगेरी, चूका | Oxalis corniculatar) (२) लकुचा, (३) अम्लवेतस, ( ४ ) जम्बी वै. निघः । रक, (५) बीजपूरक ( बिजौरा नीबू ), (६) अम्लवास्तु (स्तू) कभू arla-vastu,-stu. नागरंग (नारंगी), (७) दाड़िम (अनार), | ___kam-सं० क्ली० चुक्र नामक पत्रशाक । . (८) कपित्थ ( कैथ ), (६) अम्लवीज अम्लबेतुया, टांगा बतो-बं०। रा०नि० व०७। (१०) अम्ल का, (११) अम्बष्ठा, (१२) अम्लविदुलः amla-vidulah-सं० पु० अम्लकरमर्दक, (१३ ) तिन्दुक, (१४) कोल वेतस । (Bumex vesicarius ) वै० (बेर ) और (१५) तिन्तिड़ी । देखो-रा० निघ० । नि० व० २२ । “अम्बष्ठा सहितं द्विरेतदुरितं | अम्लविवेक amla-viveka-हिं०५० (Tes. पञ्चाम्लकं तदर्य, विज्ञेयं करमईनिम्बुकयुतं ts of acids. ) अग्लपरीक्षा । देखोस्थादम्लवर्गाह्वयम् ।" रसेन्द्रसारसंग्रह के लेखक _एसिड। के मतानुसार अम्लवर्ग की अोषधियाँ निम्न हैं, | अम्लवीजम् amla-vijan-सं० क्लो० वृक्षाम्ल, यथा-(१) अम्लवेत, (२) जम्बीर, (३) तिन्तिडी । रा०नि० व०६। लुगाम्ल (मातुलुग ), (४) चणक, (५) अम्लवृक्ष,-कम् amla-vriksham,--kam अम्लका, (६) नारंगी, (७) अमली, (८) -सं० क्ली०, पु. वृक्षाम्ल, तिन्तिड़ी । भा०पू० चिञ्चाफल, (६) निम्बुक, (१०) चांगेरी, १ भा० । For Private and Personal Use Only
SR No.020089
Book TitleAyurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size29 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy