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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अपरिमाण ३८ अपवन अपरिमाण aparimāna हिं० वि० [सं०] अपरेशन apareshana-हिं० संज्ञा पु. अपरिमित aparimmitay [अं ऑपरेशन ] (Operation ) शस्त्र परिमाणहीन, असंख्यात, अनंत । ( Unlimi- | चिकित्सा । चीरफाड़। ted ). अपरोक्ष aparoksha-हिं० पु. प्रत्यक्ष, समद । अपरिमेय aparimeya-हिं० वि० [सं०] ( Present.) जिसका परिमाण न पाया जाए। जिसकी नाप अपर्णा aparni-हिं० संज्ञा स्त्री० [सं० ] न हो सके। अपरना, पत्रशून्य । ( Leafless ). अपरिम्लानः aparimlana h-सं० पु. अपर्याप्त aparyapta-हिं० वि० [सं०] (The red val. of Barleria prio अयथेष्ट, अपूर्ण, स्वल्प, थोड़ा, काफ़ी नहीं। nites) रक अम्लान पुष्प वृक्ष । लाल ( A little, not enough.) i कट्सरैया।-हिं.वि. जो न कुम्हलाया हो, ताज़ा | - खिला हुश्रा । ( Newly opened ). अपवंदण्डः aparvva-dandab-सं. पुं. अपरिवर्तनीय aparivarttaniya-हिं०वि० ___ रामशर, सरपत । ( Sacclhalum sara) रा०नि०व०८। [सं०] (१) जो परिवर्तन के योग्य न हो । जो बदल न सके। अपर्स aparsa-हिं० संज्ञा पु० कुष्ठ, कोढ़। (२ ) जो बदले में न दिया जा सके। (leprosy )। दे० अपरस । अपरिवृत्त aparivritta-हिं० वि० [सं०] अपर्स apurs-बिलूच०, शर्बत-हिमा० । धूपी । जो ढका या घिरा न हो | अपरिच्छन्न । धूपड़ी, चन्दन-नैपा० । (Juniperus ex. अपरिष्कार aparishkāra-हिं० संज्ञा पु० celsa) मे० मो० । [सं०][वि० अपरिष्कृत ] (१) संस्कार का | अपलक्षण apalakshana-हिं० संज्ञा पु. अभाव असंशोधन । सफ़ाई वा काट छाँट का न | (१) अपशकुन । (२) (A Bad Sign) होना । (२) मैलापन (३) भद्दापन। कुलक्षण | बुरा चिन्ह । दोष । (३) दुष्टलक्षण। अपरिष्कृत aparishkrita-हिं० वि० [सं०] अपलक्षणा apalakshana-हिं० वि० स्त्री० (१) जिसका परिष्कार न हुश्रा हो | जो साफ़ न । [सं०] बुरे लक्षण वाली । दुष्ट लक्षण । किया गया हो । (२) मैला कुचैला । (३) (of a bad sign, ominous. ] बेडौल, भद्दा । अपलापः apalāpah-सं० पु० ) [वि० अपरिसर aparisara-हिं० वि० संकीर्ण, संकु- अपलाप apalapa-हिं. संज्ञा पु० अपलाचित । ( Crowded ). पित] यह पेट और छाती ( अर्थात् धड़) के मर्मों अपरीक्षित aparikshita-हिं० वि० [सं०] में से एक शिरा मर्म है जो ( अंसकूट कंधों) [स्त्री० अपरीक्षिता] जिसकी परीक्षा न हुई हो। से नीचे तथा पार्टी (पँसवाड़ा) के ऊपर एक जो परखा न गया हो । जिसकी जाँच न हई हो। एक दोनों ओर स्थित है। सु० शा० ६ ० जिसके रूप, गुण, परिमाण और वर्ण आदि का | अपलाषिका apalashika-सं० स्त्री. पिपासा, अनुसंधान न किया हो । प्यास (Thirst)। हे० च०। अपरूप aparāpa-हिं० वि० [सं०] ( Defo__rmed ) कुरूप बदशकल । भद्दा । बेडौल | | अपवनम् apavanam-सं० क्ली० ) कृत्रिम (२) [अपूर्व का अपभ्रंश ] अद्भुत । अपूर्व ।। अपवन apavana-हिं० संशपु बन, अपरेयुः aparedyuh--सं० [अव्यय ] (An artificial garden. ) gaa, पर दिन । बाग | हे० च०। For Private and Personal Use Only
SR No.020089
Book TitleAyurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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