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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org पराधीन ३८३ १- ३ तो० मिला तथा नागरमोथा, इन्द्रजौ १–१ तो० मिलाकर पकाएँ । जब चटनी सी हो जाए तब उतार रक्खें | इसके सेवन से ग्रहणी, अतिसार दूर होते है । ( ३ ) मजीठ २ तो०, कुड़े की छाल ८ तो०, भांगमूल : तो० इन्हें कूट कर १०२४ तो० जल में पकाएँ जब चौथाई रहे तो इसमें १६ Parori का दूध मिलाकर पकाएँ । जब गाढ़ा चटनी के तुल्य हो जाए तब इसमें सों, अतीस, नागरमोथा, इन्द्रजौ, एक एक तोला मिला रक्खें । इसे खाएँ और ऊपर से काँजी, खटाई इनमें सिद्ध मांस खाएँ और बकरी का दूध पिएँ तो संग्रहणी, तथा श्रुतिसार दूर हो । वङ्गसे सं० संग्रहणी-त्रि० । कर पराधीन aparadhina - हिं० वि० स्वाधीन । ( An voluntary ). परापातन apará pátana - सं० पु० श्राँवल गिराना, खेड़ी गिराना । सु०सं० शा० अ० १० । अपरायु: aparáyuh सं०पु० भ्रणांतरावरण | (Amnion). अपराहः aparáhnah सं० पु० अपराह्न aparáhna - हिं० पुं० (Afternoon ) दिवस शेष भाग, तीसरा पहर । दिन का पिछला भाग, दोपहर के पीछे का काल यह काल प्रात्रृट् काल के समान होता है । सु० सू० ६ । अपरिक्लिन्न apriklinna - ० वि० [सं०] शुष्क । सूखा । परिगृहीता aparigrihita - सं० (हिं०) स्त्री० अविवाहिता स्त्री, रखेली स्त्री । परिचालक aparichalaka - हिं० वि० पुं० रोधक, वाहक | जो विद्युत धाराका वाहक न हो । (Nonconductors-insulator.) अपरिच्छद aparichchhada ) - हिं० वि० परिच्छन्न aparichchhanna [ सं० ] श्रच्छन्न aprachchhanna आच्छादन रहित, श्रावरण रहित । जो ढका न हो । नंगा | खुला | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परिपूर्ण विलयन अपरिच्छिन्न aparichchhinna - हि० वि० [सं०] ( १ ) जिसका विभाग न हो सके । भेद्य । ( २ ) जो अलग न हुग्रा हो । मिला हुआ | (३) असीम सीमा रहित । अपरिणत aparinata - हिं० वि० [सं० ] ( १ ) अपरिपक्व । जो पका न हो । कच्चा | ( २ जिसमें विकार और परिवर्तन न हुआ हो । विकार शून्य | ज्यों का त्यों । अपरिणामी aparinami - हिं० वि० [सं० परिणामिन् ] [स्त्री० परिणामिनी ] परिणाम रहित । विकार शून्य । जिसकी दशा में परिवर्तन न हो । श्रपरिणीत aparinita - हिं० वि० [सं०] [ स्त्री० श्रपरिणीता ] अविवाहित, क्वारा | (Bachelor). परिणीता aparinita - हिं० वि० स्त्री० क्वारी, अनूदा । ( Maid, virgin, unmarried girl). श्रपरितुष्ट aparitushta - हिं० वि० [सं०] असन्तुष्ट, तृप्तिरहित । ( Dissatisfied.) परिपक्क aparipakka - हिं० वि० [सं० ] ( १ ) जो परिपक्व न हो । श्रपक्व, कच्चा । ( Unripe ) । ( २ ) जो भली भाँति पका न हो । ढेंसर | अधकच्चा । यौ० - श्रपरिपक्व कपाय । परिपूर्णयोग aparipürna-yoga-हिं० पु० ( Unsaturated_compound ). ऐन्द्रियक रसायन के अनुसार यदि कार्बन वा किसी अन्य तत्व के परमाणु के साथ अन्य तस्व के सौंयोग से उसकी कोई शक्ति वा स्थान रिक्त हो तो उसे परिपूर्ण योग कहते हैं, जैसेएसीटिलीन जो कज्जलन के एक और उदजन के दो परमाणुओं का एक यौगिक है । परिपूर्णविलयन aparipúrna vilayana -fo go (Unsaturated-solution) रसायन शास्त्रानुसार जब किसी द्रव में विलेय पदार्थ का विलयन करते समय उस पदार्थ का. घुलना बन्द न हो अर्थात् वह घुलता ही रहे, तो वह विलयन परिपूर्ण विलयन कहलाता है । For Private and Personal Use Only
SR No.020089
Book TitleAyurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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