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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनन्यज २६० अनबुल्हि यह के औषधीय उपयोग के सम्बन्ध में कोई वर्णन | अनपकाय anapakaya-ते. कडुई तुम्बी, नहीं पाया है। लौकी। (Lagenaria Vulgaris). अनन्नास पत्र का ताजा रस सराव कृमिघ्न इं० मे० मे०। और शर्करा के साथ विरेचक है। पक फल का अनपच anapacha-हिं० संज्ञा पुं० [सं० रस स्कर्वीहर ( Anti-scor butic ). मुत्रल, अन्नहीं+पचरचना] अजीर्ण । बदहज़मी । स्वेदक, मृदुभेदक और शैत्यकारक है तथा ऐल्ल्यु- | ( Indigestion ). मिनीय पदार्थों के पचाने में सहायता पहुँचाता अनपत्य anapatya-हिं० वि० [सं० ] है । अपक्क फल का रस अम्ल, रकाबरोधक, [स्रो० अनपत्या ] निःसन्तान । लावल्द । सशक्त मूत्रल और कृमिनाशक तथा रजः प्रवर्तक | अ(इ.)नव aanaba-अ० द्रात फलम्-सं० । है। अधिक परिमाण में यह गर्भपातक है। अंगूर, दाख-हिं० । Vitis Vinifera, हिका प्रशमनार्थ इसके पत्तों का ताजा रस Linn. ( Fruits of-Grapes ) स. शर्करा के साथ व्यवहार में आता है। यह विरे- फा०ई०। चक भी है। अनव anaba-अ. बैंगन, भाँटा । (Solaपक्व फल का रस ज्वरजन्य श्रामाशथिक शोभ num Melongana ) को शांत करता है। कामला ( Jaundice) में भी यह उपयोगी है। अनबहे-हिन्दी aana bahe hindi-अ०, फा० अधिक परिमाण में अपक्व फल का रस गर्भा पोपैया, पपोता-हिं० । अरंड खळूजा-सं० । शयिक आकुञ्चन उत्पन्न करता है । अस्तु, गर्भवती देखो- अण्डखरबूज़ा । Carica Papaya, स्त्रियों को इससे सख़्त परहेज करना चाहिए। Linn. (Fruit of) स० फा०-६०। __ अनन्नास का तेल या एसेन्स मिठाई बनाने में अनवा anaba-एक हिन्दी पौधा है जिसका उसे सुस्वाद करने के लिए व्यवहृत होता है । यह . फल गूगल सदृश होता है । जमेइक मद्य (Jamaica lum ) को स्वाद अनविधा anabidhi-हिं० वि० [सं० श्र+ प्रदान करने में भी व्यवहृत होता है। अनन्नास बिद्ध ] बिमा बेधा हुश्रा | बिना छेद किया जैम बनाने में प्रयुक्र होता है । इं० मे० मे०।। हुश्रा। इसके पत्र कृमिघ्न और फल गर्भशातक हैं । अनबुझा चूना ana,bujha-china-3०, हिक (इं० डू. ई. पृ० ४६१ ) चूर्णम् सं० । कलीका चूना, प्रशांत चूर्ण-हिं० । भारतीय मेडिकल अफसरों की मुख्य सम्म अनस्लैका लाइम् Unslaked-lime-इं० । तियों से, जिसका डिक्शनरी ऑफ़ एकॉनॉमिक प्रॉडक्ट ड्रोन इरिडया (१०, २३८ ) में वर्णन अनबुल्जन aanabul jan-अ० फ़ाशरा । श्रा चुका है, यह प्रगट होता है कि समग्र भारत अनवृत्थालिब aala butthalib-यु० मकोय । वर्ष के दिहातियों में इसके पत्र एवं अपक्व फल (Solanum Dulcamara, Linn. ) के गर्भशातक प्रभाव में सामान्यतः विश्वास फा०-इं०२ भा०। है। फा० इं० ३ भा० पृ० ५०६ । अनबुददुबaanabuddub-अ० एक छोटे पौधे अनन्यज analtyaija-हिं० संज्ञा पु० [सं०] का फल है जो बेर के बराबर, गोल एवं रकवर्ण . कामदेव । ( Cupid). का होता है और गुच्छों में लगता है। पत्ते अनन्यपूर्वा ananya pulva-हिं० स्त्री० [सं०] अनार के पत्ते के सदृश होते हैं। (१) जो पहले किसी की न रही हो। (२) अनबुल्हियह ānabul-hiyah-अ० हज़ारकुमारी । कारी । बिन ब्याही । ( Virgin ). . जशान या कबर का फल । For Private and Personal Use Only
SR No.020089
Book TitleAyurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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