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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अधिजिहा अधिमन्या होती है। देखो-अधिजिह्वः । सु० नि० अधिपतिः adhi-patith-सं०५० सद्यः प्राणहर अ०१६ । (२) घोड़े की जिह्वा के ऊपरी भाग मर्मस्थान विशेष । मस्तक के भीतर ऊपर को में शोफरूप से होने वाला जिह्वा रोग विशेष । जहाँ बालों का प्रावर्त (भँवर ) होता है वहाँ ज० द० २६ ०। शिरा और संधि का सन्निपात ( मिलाप ) है । अधिजिह्वः adhi-jihvah--सं० पु० । यह "अधिपति" नामक मर्मस्थान है। यहाँ पर अधिजिह्व adhijihva--हिं० संज्ञा स्त्री० चोट लगने से तत्काल मृत्यु होती है। सु० शा० ए व्युमरॉन दी टङ्ग (A tumour on the ६ अ०। tongue)-ई। हिं. पु. [ स्रो० अधिपत्नी ] सरकएटगत मुखरोग | एक बीमारी जिसमें रक्त से दार, मालिक | मुखिया। स्वामी । नायक । मिले हुए कफ के कारण जीभ के ऊपर सूजन हो अधिपति रन्नम् adhipati.randhram. ) जाती है। इसको द्विजिह्वा भी कहते हैं। इसके अधिपति विवरम् adhi-pati-vivaram ) लक्षण निम्न हैं; यथा-इसमें जिह्वाग्र में कफ -सं०को० (Posterior Fontanelle) से शोथ होता है तथा जिह्वा के प्रबन्ध (मूल) पश्चात् विवर। दो मास से कम आयु वाले बापर रुधिरसे मिला हया रतवर्ण का शोथ होजाता लक के शिर में जहाँ पाश्विकास्थियों के ऊपर के है। सूजन पक जाने पर यह त्यागने योग्य पिछले कोने पश्चादस्थि से मिलते हैं वहाँ पर अर्थात् असाध्य हो जाती है । सु० नि० अ०१६। एक गढ़ा रहता है उसको अधिपतिरन्ध्र कहते अधितुण्डो रसः adhitundi-rasah-सं०५. हैं। यहाँ भी मस्तिष्कको फड़क मालूम होती है। शुद्ध पारद, शुद्ध विष, शुद्ध गन्धक, अजमोद, अधिपयङ्कदेशः adhiparyunka deshahत्रिफला, सजीखार, जवाखार, चित्रक, जीरा, सं० पु. ( Epithalamus ) कौड़ी प्र. सेंधा नमक, काला नमक, वायविडंग, गंगलव', देश । श्रोर त्रिकुटा प्रत्येक तुल्य भाग लें तथा सर्व तुल्य अधिबिना adhibinna-हिं० संज्ञा स्त्री० [सं०] शुद्ध कुचिला चूर्णकर मिलाएँ, पुनः जम्भीरी के रससे घोटकर मिचं प्रमाण गोलियाँ बनाएँ । इसके । अध्यूदा । प्रथम स्त्री । प्रथम विवाह की स्त्री । वह सेवन से मन्दाग्नि दूर होती है। अमृ० सा०।। स्त्री जिसके रहते उसका पति दूसरा विवाह अधित्वचः adhitvachah-सं० ए० श्रावरण । कर ले। भाग । अथव० । सू० २१.१ का०६। अधिभूतः adhi-bhutah-सं. प. जिस अधिदन्तः,-क: adhidantah,-kah-सं० पू० इन्द्रिय का जो कार्य है वह कार्य ही उस इन्द्रिय दन्तमूल रोग विशेष, गजदन्त । (A tooth का अधिभूत विषय है। परन्तु किसी किसी ने growing over another) ज.द. उनके विषय को ही अधिभूत माना है। सु० शा० अ० । अधिदेव adhi-daiva-हिं० वि० [सं०] दैविक, अधिभौतिक adhi-bhoutika-हिं० वि० दे० - दैवयोग से होने वाली, अाकस्मिक । प्राधिभौतिक। अधिदेवतम् adhidaivatam सं. क्ली० । अधिमन्थ adhimantha-हिं. संज्ञा पु. ) अधिदेवतadhidaivata-हि. संज्ञा पुं० ) अधिमन्थः adhimanthah-सं० पु. (.) पदार्थ सम्बन्धी विज्ञान, विषय वा प्रक- (Acute Pains in the balls of रण । (२) अधिदेवता । प्राधिदैविक रोग । the eyes with pain and swelling देवताधिकृत । सु० शा०१० । of one side of the head.) अभिष्यन्द वि० देवता सम्बन्धी । (पानी पाना ) द्वारा उत्पन्न नेत्र रोग विशेष । For Private and Personal Use Only
SR No.020089
Book TitleAyurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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