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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अगः (गे) रिकम त्वम् अगा (गे) रिकस् ऑस्टोएटस १ ग्रेन (अर्द्ध रत्ती) डोवर्स पाउडर के साथ (Pilocarpine) के समान होता है । अस्तु वटिका रूप में प्रयोग किया जाय। इससे अत्यन्त लालास्त्राव, स्वेदस्राव तथा श्रण श्रोक अगारिक या सर्जन्म अगारिक जिसको स्राव होता है, तथा इससे बल पूर्ण एवं वेदना श्रनेडो (Amadol) या फङ्गस इग्निएरियस्। पूर्ण मूत्रस्राव और कभी कभी उरलेश (मतली) ( Fimgius agniarius ) भी कहते हैं तथा अतिसार उत्पन्न हो जाते हैं। इसका घोल श्रोक अगारिक, नाइटर तथा अल्केली का एक (१० ) जब चतु में डाला जाता है तो मिण है जो स्थानिक रत थापक रूप से उप- इससे नेत्र कनीनिका विस्तृत हो जाती है और योग में आता है । हिट० मे० मे०। इसका अन्तः प्रयोग करने से : निगलन से ) विस्फोट जन्य ज्वरों में विस्फोटकोत्पत्ति विवर्द्धन वह संकुचित होती है। हेतु इसे अधिक मात्रा में मधु के साथ वर्तते हैं। स्थानिक कनीनिका विस्तारक तथा स्वेदन प्रभाव जलाका रक्षरण में यह रकम्थापक प्रभाव करता के मस्करोन धत्तरीन Atropine के प्रत्येक है। इं० मे० मे। प्रभावकी निर्णित प्रतिद्वंद्वी (Antagonist) थोड़ी मात्रा में यह संकोचक और बड़ी मात्रा में है । अस्तु धत्त रीन (Atropine ) छत्रिका वामक तथा विरेचक प्रभाव करता है। पी०वी० ( Fungi) द्वारा विपाक दशाओं की प्रतिविष एम० । है । एक समय जब पाठशाला के बहु संख्यक श्रगद तन्त्र बालक (Fungi) के खानेसे विपाक हुए उस Fungi (or muscariu ) अवसर पर लेखक धत्त रीन (Atropine) विषैले छत्रांकुर ( Poisonous Fungi ) के स्वगन्तः क्षेप द्वारा कतिपय प्राणियों की में सम्भवतः दो विभिन्न विषैली वस्तुएं वर्तमान जीवन रक्षा करने में अपने को सन्तुष्ट कर सका । होती हैं, यथा मस्केरीन (Muscarin) जिसका ह्विट० मे. मे० । प्रभाव बिलाडोना तथा धुस्तर के सर्वथा विपरीत माक्षोय छत्राङ्करागद होता है; और द्वितीय जिसका प्रभाव धत्त रीन Muscarin or Poisonous mushroo (Atropine) और डैटरिया (धत्त रोन ms फङ्गाइ (Fungi ) द्वारा विषाक्रोपबा धुस्तुर सत्व) के समान होता है। चारवत्यत्न करें (देखो-अगारिकस् ऐल्बस्) अगद-वामक ( जिंक सल्फेट १५ ग्रेन वा यथा स्टमक पम्प अथवा वामक औषध उपयोगाअधिक जल के साथ ) वा स्टमक पम्प का व्यव- नन्तर ऐट्रोपीन ( धत्त रीन ) का स्वगन्तः रूप से हार करना चाहिए। तदनन्तर अहिफेन सत्वो ! व्यौहार करें। ल्लिखित टैनिक एसिड के साथ कॉफी फाण्ट देना इस प्रकार के विषैले गारीक़न में से एक प्रभाचाहिए । कनीनिका विस्तार काल तक बारम्बार वात्मक सत्व निकलता है जिसे मस्करीन ऐट्रोपीन' ग्रेन का 'स्वगन्तः क्षप' करना अथवा Muscarine (घातकी) कहते हैं । इस प्रकार के गारीक़न को कहीं कहीं अफीम तथा भंग के डिजिटेलिस् या मार्फीन ( अहिफेन सत्व) देना सदृश उपयोग में लाते हैं। ... चाहिए । स्वतन्त्र उत्तेजना, राई के प्रस्तर अगा (गे) रिकस ऑफिसिनेलिस A.officiतथा घर्षण की आवश्यकता होती है। __nalis-ले० गारोकन । इस प्रकार का ग़ारीकून फिरंग के बनों में उत्पन्न अगा (गे) रिकस ऑस्ट्रोएटस् agaricus होता है । यदि इसको दुग्ध में उबाल दिया ___ostreatus, Facq.-ले० फणस पालोम्वे, जाय तो वह मक्खियों के लिए घातक होता है। फनसाम्बा, पनसलम्बे--मह०, को0 Agaric इसको संयोगात्मक विधि से भी प्रस्तुत किया जा of the oak, Touch wood; Oystej सकता है। प्रभावमें यह बहुत कुछ पाइलोकापीन | mushroom. For Private and Personal Use Only
SR No.020089
Book TitleAyurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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