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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra BABY www.kobatirth.org विषया:. योगस्य फलोपधायकत्वभ योगशब्दार्थः रजोगुणस्य बाह्यविषयक सुख दुःखानुभवहेतुत्वम् तमोगुणस्य क्रोधमोह। दिहेतुत्वम् स्वगुणस्य सुखहेतुत्वम् त्रिगुणा मधुराम्लकटुरसाद नहेतुका : मधुररसस्य साविक गुणोत्पादनद्वारा मोक्षहेतुत्वम् आम्लरसादनात्सुखानुभवः ऊषणरसाद्दु खानत्र त सुखानुभवः द्रष्टुस्स्वरूपावस्थानं सुखदुःखानुरूपम् आत्मनःस्स्सुखदुख दीनामुपलम्भप्रकार: अम्लरसवद्दव्यस्य रजोगुणहेतुत्वम् शोषक पोषकद्रव्याणां रोगनिवर्तकत्वम् xxii योग्यःव्यसंयोगजं भेषजम् संयोगविपर्ययस्य चित्तविभ्रमादिजनकलम् ..... अतस्मिंस्तद्बुद्धिः पित्तद्विक्ताहारजन्या अत्यन्त निरीक्षणे प्रमाणस्यापि संशयग्रस्तत्वम अत्यन्ता नमिषदृष्टया चक्षुरिन्द्रियदोषः पित्ताद्विभ्रम-त्तिः अनुभूतार्थे भ्रमो नित्रर्तकेन नित्रर्त्यः भ्रमात्मकं ज्ञानं रसवद्दव्यैर्निवर्तनीयम् दुष्टे सत्याशये भ्रमस्यानिवर्त्यत्वम् सति रोगनिमित्त पथ्यं भेषजम् केशानामाद्दार परिणामजन्यत्वम् www. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private And Personal Use Only .... **** ... .... सूत्रम्. पुटम्. 2 101 3 102 4 102 5 103 6 103 7-9 104 10 104 11 105 12 105 13 105 14 106 15 106 16 107 17 107 18-19 108 20-21 108 22 109 23 110 24 111 25 111 26 111 27 112 28 112 29-30 113
SR No.020087
Book TitleAyurved sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYoganandnatha, R Shama Shastry
PublisherGovernment of Mysore
Publication Year1922
Total Pages347
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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