SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 22
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra विषया:. रस दीनां विकार निवर्तकत्वम् आमवृद्धिविकारस्य सर्वरोगभूतत्वम द्रव्याणां रोगनिवर्तकत्वम् द्रव्याणां दोषत्रयहेतुत्वम् अनाम पालनम्य रोगनिवर्तकत्वम् अन्नस्य भूतोत्पादकत्वम्...... अन्नस्य भूतामिवर्धकत्वम् अन्नशब्दनिरुक्तिः **** स्नेहवद्द्रव्यस्यानलप्रवर्धकत्वम् स्नेहस्य प्रयोजनम् गर्भिणीकृत मृतप्राशनस्य गर्भस्थापिण्डगतजठरानलजनकत्वम् गादीनामूर्ध्वमागामित्वं तैजसद्रव्याधिक्याधीनम् घृतस्यायुरभिवर्धकत्वम् योग्यद्रव्योपयोगादभिवृद्धिः रसस्थागात्मता रसस्यात्मस्वरूपत्वम् .... गर्भिण्या घृतलतान्नानावश्यकता सति विकारे शोषकपोषकद्रव्यं भेषजम् योगानुशासनम् www.kobatirth.org **** .... xxi 4444 २.०० प्रतिमासं गर्भवृद्धि: स्नेहपाकविशिष्टवार्धिकद्रव्यस्य कार्यकारकत्वम् पोषकद्रव्योपयोगकाले शोषकद्रव्यं नोपयुञ्जीत रसानां धातुपोषकत्वम् .... ।।।। .... *** .... .... Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तृतीयः प्रश्नः. For Private And Personal Use Only .... .... **** **** .... सूत्रम. पुटम्. 70 89 71 89 72-73 74 75 76-78 79 80 81-82 83 84-85 90 91 91 91 93 94 94 95 95 86 96 87 96 88-89 97 90-91 98 92 98 93 98 94-95 99 96 99 97 100 98 100 99 100 1 101
SR No.020087
Book TitleAyurved sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYoganandnatha, R Shama Shastry
PublisherGovernment of Mysore
Publication Year1922
Total Pages347
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy