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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उत्तरस्थानं भाषाटीकासमेतम् । (९३१) और स्थिरधातुवालेके शीतल ऋतुमें ॥ २५ ॥ और मांसवालेके और अल्पदोषवालेके घाव सुखसाध्य कहे हैं और इन्होंसे विपरीतके घाव कष्टसाध्य हैं । पूर्वमध्यान्तवयसामेद्वित्रिगुणैः क्रमात् ॥ २६ ॥ मासैः स्थैर्घ्यं भवेत्सन्धेर्यथोक्तं भजतो विधिम् ॥ और पूर्व मध्य अंत अवस्थावालोंके क्रमसे एक और दो और तीन ॥ २६ ॥ ऐसे महीनोंसे तथा संधिकी स्थिरता होवे तबतक विधिको करतारहै ॥ कटीजंघोरुभग्नानां कपाटशयनं हितम् ॥ २७॥ यन्त्रणार्थ तथा कीलाः पञ्च कार्या निबन्धनाः॥ जंघोवोः पार्श्वयोद्वौ द्वौ तल एकश्च कीलकः ॥२८॥ श्रोण्यां वा पृष्ठवंशे वा वक्रस्याक्षकयोस्तथा ॥ और कटी जांघ ऊरूके भंगवाले मनुष्योंको कपाटपै शयन करना हितहै ॥ २७ ॥ और यंत्रण करनेके अर्थ स्थिर स्थितिके हेतुरूप पांच कीले कराने योग्यहै, जांधके दोनों तर्फ दो, और उसके दोनों तर्फ दो, और तलमें एक ऐसे कीलोंको स्थापित करै ॥ २८ ॥ और कटिमें भंगवाले मनुष्यके अथवा पृष्टवंशमें भंगवाले मनुष्यके दोनों तर्फको दो दो और तलभागमें एक मुख, और कांधेमें भग्नहुये मनुष्यके पांचही कीले प्रयुक्तकरै।। विमोक्षे भग्नसन्धीनां विधिमेवं समाचरेत् ॥२९॥ भग्नहुई संधियों के छुट जानेमें ऐसेही विधिको करै ॥ २९ ॥ सन्धींश्चिरविमुक्तांस्तु स्निग्धस्विन्नान्मृदूकृतान् ॥ उक्तैर्विधानैर्बुद्धया च यथास्वं स्थानमानयेत् ॥ ३०॥ . चिरकालसे छुटोहुई और पहिले स्निग्ध और पीछे स्वेदित करी और कोमलकरी संधियोंको यथायोग्य विधानोसें और बुद्धिसे यथायोग्य स्थानमें प्राप्तकरै ॥ ३० ॥ असन्धिभन्ने रूढे तु विषमोल्बणसाधिते॥ आपोथ्य भङ्गं यमयेत्ततो भग्नवदाचरेत् ॥ ३१ ॥ संधिसे वर्जित स्थानमें भग्न होजावे तब विषम और उल्बणसे साबितकिये अंकुरमें भंगको आपोथितकर शांतकर, पीछे भग्नकी तरह उपचारकरै ।। ३१ ॥ भग्नं नैति यथा पाकं प्रयतेत तथा भिषक् ॥ पकमांसशिरास्नायुसन्धिः श्लेषं जगद्धले ॥ ३२॥ जैसे भग्न पाकको नहीं प्राप्तहो तैसे वैद्य जतनकरे, क्योंकि पाहुये न, नस संधि श्लेषको नहीं प्राप्त होतेहैं ॥ ३२॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020074
Book TitleAshtangat Rudaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVagbhatta
PublisherKhemraj Krishnadas
Publication Year1829
Total Pages1117
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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