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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उत्तरस्थानं भाषाटीकासमेतम् । (९२९) ऐसे भंगकी स्थितिको जानके नीचेको नई हुई हड्डीको ऊंचेको प्राप्तकरै, और ऊंचेको हुई हड्डीको अवपीडितकरै ॥ ११ ॥ अत्यंत क्षिप्तहुई हड्डीको आंछितकर और नीचेके प्राप्तहुई हड्डीको ऊपरको प्राप्तकरै ॥ आञ्छनोत्पीडनोन्नामचर्मसंक्षेपबन्धनैः॥ १२ ॥ सन्धीञ्छरीरगान्सर्वाञ्चलानप्यचलानपि ॥ इत्येतैः स्थापनोपायैः सम्यक्संस्थाप्य निश्चलम् ॥ १३ ॥ पट्टैःप्रभूतसपिभिर्वेष्टयित्वा सुखैस्ततः॥ कदम्बोदुम्बराश्वत्थसर्जिनपलाशजैः॥ १४॥ वंशोद्भवैर्वा पृथुभिस्तनूभिः सुनिवेशितैः॥ सुश्लक्ष्णैः सुप्रतिस्तम्रैवल्कलैः शकलैरपि ॥१५॥ कुशाह्वयैः समं बन्धं पक्षस्योपरि योजयेत्॥ और आंच्छन उत्पीडन उन्नाम चर्म संक्षेप बंधन इन्होंसे ॥ १२ ॥ शरीरमें प्राप्तहुई और चल तथा अचल सब सधियों को निश्चलरूप अच्छी तरह स्थापितकर ॥ १३ ॥ पीछे अत्यंत घृतसे संयुक्तकिये और सुखको देनेवाले पट्टरूप बस्त्रोंसे बेष्टितकर और कदंब गूलर पीपलवृक्ष सरलवृक्ष कौहवृक्ष पलाश वृक्ष इन्होंकी छालोंकरके ॥१४॥अथवा वांससे उपजे और पृथुरूप पतले और अच्छी तरह निवेशित किये और अच्छी तरह कोमल और प्रतिस्तंभोंसे संयुक्त विस्तीर्ण रूप ॥ १५ ॥ कुशासंज्ञक फाटक आदिकोंसे समानवंधको पूर्वोक्त पट्टीके ऊपर बांधै ॥ शिथिलेन हि बन्धेन सन्धेः स्थैर्घ्यं न जायते ॥ १६ ॥ गाढेनातिरुजादाहपाकश्वयथसम्भवः॥ और शिथलरूप बंधसे संधिकी स्थिरता नहीं होतीहै ॥ १६ ॥ और अत्यंत कररी पटीसे अत्यंत पीडा दाह पाक शोजाकी उत्पत्ति होतीहै । व्यहान्यहाहतौ घर्मे सप्ताहान्मोक्षयेद्धिमे ॥१७॥ साधरणे तु पश्चाहाद्भङ्गदोषवशेन वा ॥ ग्रीष्मऋतुमें तीन तीन दिनमें पढी को खोलै और शीतल ऋतुओंमें सात सात दिनमें पट्टीको खोले॥१७॥शरद और वसंतऋतुमें पांच दिनमें पट्टीको खोलै अथवा भंगके दोषकरके पट्टीको खोले।। न्यग्रोधादिकषायेण ततः शीतेन सेचयेत् ॥ १८ ॥ तं पञ्चमूलपक्केन पयसा तु सवेदनम् ॥ पीछे शीतलकिये न्यग्रोधादि गणके औषधोंके काथकरके सेचितकरै ॥ १८ ॥ पीडा सहित भंगको पंचमूलमें पकायेहुये दूधकरके सेचितकरै ।। For Private and Personal Use Only
SR No.020074
Book TitleAshtangat Rudaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVagbhatta
PublisherKhemraj Krishnadas
Publication Year1829
Total Pages1117
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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