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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उत्तरस्थानं भाषाटीकासमेतम् । (८९५) ञ्जिष्ठाचोचपद्मकविडङ्गैः॥स्पृकानतनखकट्फलसूक्ष्मैलाध्यामकैः सपत्तङ्गैः॥ ८६ ॥ तैलप्रस्थं विपचेत्कर्षाशैः पाननस्यगण्डूपैस्तत् ॥ हत्वास्ये सर्वगदाञ्जनयति शीघ्रं दृशं श्रुतिं च वाराहीम् ॥ ८७॥ खैरको ४०० तोलेभरले, पीछे १०२४ तोले पानीमें पकावै जब चतुर्थीश शेष रहै तब पिसेहुये चंदन कालाअगर केशर क्षुद्रमोथा नेत्रवाला खश ॥ ८५ ॥ देवदार लोध लाख मजीठ दालचीनी कमल वायविडंग ब्राह्मी तगर नखी कायफल छोटीइलायची रोहिषतण लालचंदन ॥८६॥ ये सब एक एक तोलेभरले पीछे ६४ तोलेभर तेलको पकावै पीछे पान नस्य और कुल्ला इन्होंकरके धारणकिया यह तेल मुखमें सब रोगोंको नष्ट करके गधिके समान दृष्टिको और शूकरके समान श्रवणको प्राप्त करताहै ॥ ८७ ॥ उर्तितं च प्रपन्नाटरोध्रदारूभिरभ्यक्तमनेन वक्रम् ॥. निर्व्यङ्गनीलीमुखदूषिकादि सञ्जायते चन्द्रसमानकांति ॥ ८८॥ पुंआड लोध दारुहलदीसे उबटन किया और इसतेलसे अभ्यक्त मुख व्यंगनील मुखदूषिकाको दरकरताहै और चंद्रमाके समान कांतिको उपजाताहै ॥ ८८ ॥ पलशतं बाणात्तोयघटे पक्वारसेऽस्मिंश्च पलाद्धिकैः॥खदिरजम्बूयष्टयानन्ताम्ररहिमारनीलोत्पलान्वितैः॥८९॥तैलप्रस्थं पाचयेच्छूक्ष्णपिष्टैरेभिर्द्रव्यैर्धारितं तन्मुखेन ॥ रोगान्सर्वान्हन्ति वत्र विशेषात्स्थैर्य धत्ते दन्तपंक्तेश्चलायाः॥ ९०॥ नीले कुरंटेको ४०० तोलेभरले १०२४ तोले पानीमें पकावै पीछे तिस रसमें दो दो तोलै प्रमाणसे खैर जामन मुलहटी धमांसा आंव विटखदिर नीलाकमल इन्होंको मिला ॥ १९ ॥पीछे ६४ तोले तेलको पकावै पीछे मुखकरके धारितकिया यह तेल सब रोगोंको नाशता है और विशे•षकरके मुखमें हिलतीहुई दांतोंकी पंक्तिको स्थिरकरता है ॥ ९ ॥ खदि राहे तुले पचेद्वल्कात्तुलाचारिमेदसः॥घटचतुष्के पादशेषेऽस्मिन्पूते पुनः क्वाथनाद्धने ॥९१ ॥ आक्षिकं क्षिपेत्सुसूक्ष्म रजः सेव्याम्बु पत्तङ्गगैरिकम् ॥चन्दनद्वयरोध्रपुण्ड्राह्वेयष्ट्याबलाक्षाअनद्वयम् ॥९२ ॥ धातकीकट्फलद्विनिशात्रिफलाचतुर्जातजोऽङ्गकम् ॥ मुस्तमञ्जिष्ठान्यग्रोधप्ररोहमांसीयवासकम् ॥५३॥ पद्मकैलेयसमङ्गाश्च शीते तस्मिंस्तथा पालिका पृथा जातिपत्रिकांसजातीफला सहलवङ्गकङ्कोलकाम्॥९४॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020074
Book TitleAshtangat Rudaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVagbhatta
PublisherKhemraj Krishnadas
Publication Year1829
Total Pages1117
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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