________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
चिकित्सास्थानं भाषाटीकासमेतम् । (६६१) यवानकं यवक्षारं यवानी पञ्चकोलकम् ॥ मरिचन्दाडिमम्पाठा धानकामम्लवेतसम् ॥११॥ बालबिल्वञ्चकर्षांशं साधयेत्सलिलाढके ॥ तेन पक्को घृतप्रस्थःशोफाशेगुल्ममेहहा॥१२॥
अजमोद जवाखार अजवायन पीपल पीपलामूल चव्य चीता सूंठ मिरच अनारपाठा धनियाँ अम्लवेतस ॥ ११ ॥ कच्ची बेलगिरी ये एक एक तोले भर ले २५६ तोले पानीमें पकावे तिसकरके पक किया६४ तोल घृत शोजा बवासीर गुल्म प्रमेहको नाशता है ॥ १२॥
दनश्चित्रकगर्भाद्वा घृतं तत्तकसंयुतम् ॥पक्कंसचित्रकंतद्वद्गुगैर्युञ्ज्याच कालवित् ॥ १३॥धान्वंतरमहातिक्तकल्याणमभ याघृतम् ॥ चीताके कल्कसे संयुक्त हुये दूधसे जो उपजा दही तिसके मथनेते निकसा हुआ और तिसी तक्रसे संयुक्त और चीताके संग पक्क किया घृत पूर्वोक्त गुणोंको करता है,और कालको जाननेवाला वैद्य ॥ १३ ॥ धान्वंतरघृतको अथवा महातिक्तवृतको अथवा कल्याणवृतको अथवा अभयावृतको प्रयुक्त करै ॥
दशमूलकषायस्य कंसे पथ्याशतं पचेत् ॥ १४ ॥ दत्त्वा गुडतुलां तस्मिल्लेहे दद्याद्विचर्णितम् ॥ त्रिजातकं त्रिकटुकं किञ्चिच यावशूकजम् ॥१५॥ प्रस्थार्द्धश्च हिमे क्षौद्रात्तन्निहन्त्युपयो. जितम् ॥ १६ ॥ प्रवृद्धशोफज्वरमेहगुल्मकार्यामवाताम्लकर क्तपित्तम्।।वैवर्ण्यमूत्रानिलशुक्रदोषश्वासारुचिप्लीहगरोदरश्च।१७॥
और दशमूलके २५६ तोले क्वाथमें १०० हरडोंको पकावै ॥ १४ ॥ पीछे ४०० तोले गुडको मिला लेह होनेमें एकएक तोलेभर दालचीनी इलायची तेजपात सुंठ मिरच पीपल कछुक जवाखारके चूर्णको मिलावै ॥ १५ ॥ पीछे शीतल होनेपै १६ तोले शहदको मिलावै उपयोजित किया यह लेह ॥ १६ ॥ बढा शोजा ज्वर प्रमेह गुल्म माडापन आमवात अंतर्दाह रक्तपित्त विवर्णता मूत्रदोष वातदोष वीर्यदोष श्वास अरुची तिल्लिरोग गरोदरइनको नाशताहै ॥ १७ ॥
पुराणयवशाल्यन्नं दशमलाम्बुसाधितम्॥अल्पमल्पंपटुस्नेहं भोजनं ३वयथोहितम् ॥ १८ ॥ क्षारव्योषान्वितैतिःकौलत्थैःस कणैरसैः॥ तथा जाङलजैः कूर्मगोधाशल्यकजैरपि ॥१९॥ अनम्लं मथितं पाने मयान्योषधवन्ति च ॥ अजाजीशठिजीवन्तीकारवीपौष्कराग्निकैः ॥ २०॥ बिल्वमध्ययवक्षारवृक्षाम्लैर्ब
For Private and Personal Use Only