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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चिकित्सास्थानं भाषाटीकासमेतम् । (६५५) और पृथक् पके हुये गोमूत्रमें मिला गोलियोंको करै, पछि तिन्होंको खावै और तक्रका भोजन करै ।।१८।। पांडुरोगियोंको ये मंडूरवटक प्राणोंको देनेवाले हैं, और कुष्ठ अजरक सोजा ऊरुस्तंभ भरोचक ॥ १९ ॥ बवासीर कामला प्रमेह तिल्लिरोगको शांत करते हैं ।। ताप्याद्रिजतुरौप्यायोमलाः पञ्चपलाः पृथक् ॥२०॥ चित्रकत्रिफलाव्योषविडङ्गैः पालिकैः सह॥शर्कराष्टपलोन्मिश्राश्चर्णिता मधुना द्रुताः॥२१॥ पाण्डुरोगं विषं कासं यक्ष्माणं विषम ज्वरम् ॥ कुष्टान्यजरकं मेहं शोफैश्वासमरोचकम् ॥२२॥ विशेषाद्धन्त्यपस्मारं कामलां गुदजानि च ॥ और सोनामाखी शिलाजीत चांदीका मैल लोहका मैल ये सब अलग अलग बीस तोले लेवै ॥ २० ॥ और चीता त्रिफला सूंठ मिरच पीपल वायविडंग ये चार चार तोले लेवे और खांड ३२ तोले इन्होंके चूर्णको शहदसे द्रवीभूत करै ।। २१ । यह चूर्ण पांडुरोग विष खांसी राजरोग विषमज्वर कुष्ट अजरक प्रमेह शोजा श्वास अरोचक इन्होंको ॥ २२ ॥ और विशेषकरके अपस्मार कामला बवासीरको नाशता है। कौटजत्रिफलानिम्बपटोलघननागरैः॥२३॥भावितानि दशा हानि रसैर्द्वित्रिगुणानि वा॥शिलाजतुपलान्यष्टौ तावती सितशर्करा ॥२४॥ त्वक्षारीपिप्पलीधात्रीकर्कटाख्याः पलोन्मिताः॥निर्दग्धाः फलमूलाभ्यां पलं युक्त्या त्रिजातकम्॥२५॥मधुत्रिपलसंयुक्तं कुर्यादक्षसमान्गुडान्॥दाडिमाम्बुपयःपक्षिरसतोयसुरासवान् ॥ २६ ॥ तान्भक्षयित्वानुपिबेन्निरन्नो भुक्त एव वा॥ पाण्डुकुष्ठज्वरप्लीहतमकार्शोभगन्दरम् ॥२७॥ हृन्मूत्रपूतीशुक्राग्निदोषशोषगरोदरम्॥कासासृग्दरपित्तासृच्छोफगुल्मगलामयान् ॥२८॥ मेहवर्मभ्रमान्हन्युः सर्वदोषहराः शिवाः॥ और इंद्रजव त्रिफला नींब परवल नागरमोथा झूठके रसोंकरके ॥ २३ ॥ दशदिन अथवा २० दिन अथवा महीनातक भावित करी ३२ तोले शिलाजीत और ३२ तोले ही मिसरी॥२४॥चार चार तोले वंशलोचन पीपल आंवला काकडासिंगी और कटेहलीका फल और जड और युक्तिकरके दालचीनी इलायची तेजपात ॥ २५ ॥ १२ तोले शहदसे संयुक्त कर एक एक तोलेकी गोलियां बनावै, और अनारका पानी दूध पक्षीके मांसका रस पानी मदिरा आसव ॥ २६ ॥ इन्होंका अनुपान करै, और भोजनसे पहिले अथवा पीछे गोलियोंको खावे ये गोली पांडु कुष्ठ ज्वर तिल्लिरोग For Private and Personal Use Only
SR No.020074
Book TitleAshtangat Rudaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVagbhatta
PublisherKhemraj Krishnadas
Publication Year1829
Total Pages1117
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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